Poem: जाग रहा भारत फ़िर से

जाग रहा भारत फ़िर से हम जागें, कर पायें सद कर्म प्रभु से यह मांगें। पावन अतीत की थाती का गौरव ले, स्वर्णिम भवितव्य रचायें भ्रम भागें।। गति में मन…

Kavita: माँ सुबह का सूरज होती है

माँ भोर में उठती है कि माँ के उठने से भोर होती है ये हम कभी नहीं जान पाये। बरामदे के घोसले में बच्चों संग चहचहाती गौरैया माँ को जगाती…

Poem: लो मैंने तुम्हें मार दिया

बहुत-सी प्रेम कहानियाँ मर जाती हैं जातियों के तले दबकर, जातियाँ हँसती हैं और खिलखिला कर कहती हैं “लो मैंने तुम्हें मार दिया” और प्रेम अपनी आख़िरी साँस तक एक…

Poem: पक्षी के परों का कंपन

अचानक किसी दिन कविता के साए मंडराने लगते देह के अज्ञात में तब वह अज्ञात सी जेहन में पुकार लगाती, दस्तक देती फिर एक आवाज़ गूंजती कठफोड़वे की ठक ठक…

Poem: मुझे दहेज़ चाहिए

तुम लाना तीन चार ब्रीफ़केस जिसमें भरे हो तुम्हारे बचपन के खिलौने बचपन के कपड़े बचपने की यादें मुझे तुम्हें जानना है बहुत प्रारंभ से… तुम लाना श्रृंगार के डिब्बे…

Poem: गाय हमारी माता है गी

गाय हमारी माता है गी, यह हम नित्य रहे हैं गाई। कभी आरती पूजन करते, चन्दन वन्दन रहे चढ़ाई।। सब देवता गाय में बसते, यह हम सबको रहे बताय। द्वार…

Poem: य़ह यक्ष प्रश्न है तेरा

बाहों में बहु बल था उत्साह महा प्रबल था वीरों का सुगठित दल था पर लड़कर हम क्यों हारे? क्षत्रिय रक्षा का हल था क्षत्राणी युग संबल था जौहर करना…

Poem: बाल सुनहरे भारत के

बाल सुनहरे भारत के निर्माता और निदेशक हैं। वे जो भी स्वप्न संजोएंगे भावी के बड़े निवेशक हैं।। उनके हृदयों में हो भारत भारत की घनीभूत पूंजी। ऋषियों का उच्चासन…

Kavita: आओ पुनः जगाएं भारत को

जिनकी रगों में रक्त सनातन जिनके पूर्वज थे ऋषि हमारे, जो भय लोभ से बने विधर्मी हैं फिर भूले संस्कार वे सारे। भूले बिसरे रहे अभी तक मर्यादायें भी सब…