गाय हमारी माता है गी,
यह हम नित्य रहे हैं गाई।
कभी आरती पूजन करते,
चन्दन वन्दन रहे चढ़ाई।।

सब देवता गाय में बसते,
यह हम सबको रहे बताय।
द्वार बंधी गयिया हैं छोड़ी,
धर्म को पाठ रहे पढ़ाई।।

अगर चाहते गाय बचाएं,
सबसे सुन्दर एक उपाय।
गौ उत्पाद घर घर आयें,
रसोई में सब लेउ मगाय।।

जच्चा-बच्चा की सोचो,
गौ घी-दूध देउ खिलाए।
बल-बुद्धि बढ़ेगी उसमें,
भावी पीढ़ी लेउ बचाय।।

गौ आधारित खेती होती,
आटा दाल तेल सब भाई।
सब्ज़ी गुड़ वही मंगाओ,
स्वस्थ्य अपनों लेउ बनाई।।

बढ़े इम्यूनिटी घर में सबकी,
डेंगू करोना विष देउ भगाई।
कैंसर जैसे रोग से बचिहऊ,
आरोग्य पाठ ये देउ पढ़ाई।।

हर किसान घर गाय बंधेगी,
खेती भी विष मुक्त हुई जाय।
दूध दही की नदियां बहेंगी,
गौ सेवा को फल मिलि जाय।।

बृजेंद्र पाल सिंह

(रचनाकार लोकभारती केन्द्र लखनऊ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री)

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