Poem: कहाँ पर बोलना है
कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं। जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं।। कटा जब शीश सैनिक का तो हम खामोश रहते हैं। कटा…
कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं। जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं।। कटा जब शीश सैनिक का तो हम खामोश रहते हैं। कटा…
ये विकास है या कुछ और है! ना तुझे पता, ना मुझे पता। क्या दलित होना गुनाह है! ना तुझे पता, ना मुझे पता। इक कोठरी में कई लोग हैं,…
सरसर हवा बाण की नाईं थर थर काँपैं बाबू माई, तपनी तापैं लोग लुगाई कोहिरा छंटत नहीं बा भाई। चहियै सबै जियावत बा, जाड़ा बहुत सतावत बा।। गरमी असौं बराइस…
नाना के घर से जब मम्मी, पापा के संग आई थीं! और नहीं कुछ याद किसी को, पर ये पलंग भी लाई थी। छोटे बड़े मिलाकर उनके, घर में दस…
काश फिर ऐसा हो, तुम मुझे फिर मिलो। फिर मुझे जानने मैं रूचि लो, मुझे वापस बताओ। तुम्हारा लिखा पढ़ा मैंने, बहुत खूब लिखती हो।। फिर तुम्हें गले से लगा…
भटक गए हम राहों में, मंजिल का ठिकाना नहीं था। ले गई जिंदगी उन राहों में, जहां हमें जाना नहीं था। कुछ क़िस्मत की मेहरबानी, कुछ हमारा कसूर था। हमने…
हम भारत के रहने वाले हैं, भारत की बात बताते हैं। इसकी मिट्टी से प्रेम मुझे, ये जगती को समझाते हैं।। सह जीवन में विश्वास मेरा, प्रकृति से साथ निभाते…
परीक्षा कक्ष में परीक्षा देने के लिए महज़ अभ्यर्थी नहीं बैठता, उसके साथ बैठते हैं अपने-परायों के बेहिसाब दिल चीरते ताने जीत-हार के बीच का मन में पलता द्वंद कई…
दादी के इंतक़ाल के बाद जब, रो रही थीं घर की औरतें, और नहीं रोक पाया था मैं भी ख़ुद को, ग़मगीन दादा तब भी यही बोले थे, मर्द बच्चे…
एलबम में लगी तस्वीर के नीचे, छुपाकर रखती होगी कोई तस्वीर। तह किये हुए कपड़ों के बीच, पुराने पीले कागज बतौर प्रेम पत्र।। रूमाल में टांकती होगी, कोई खूबसूरत फूल।…