किसी चीज़ में डूबो
तो ऐसे डूबो कि
डूबना भी सुन्दर दिखे

किसी चीज के साथ खेलो
तो ऐसे खेलो कि
खेलना भी सार्थक लगे

किसी के साथ साझा करो विचार
तो ऐसे करो कि
विचार, विचारणीय लगे

किसी से प्रेम करो
तो ऐसे करो कि
प्रेम में तुम, तुम ना लगो

किसी से मिलो तो
ऐसे मिलो कि
आजन्म उसी के प्रतीक्षा में थे

किसी से जुड़ो
तो ऐसे जुड़ो कि
स्वयं से ना बिछड़ो

– शिवेश

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