Divya Nautiyal
दिव्य नौटियाल

लोकसभा चुनाव बेहत करीब है। मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में आने का सपना देख रही है। लोकसभा चुनाव को लेकर मोदी सरकार लगातार एक्टिव है। इतना ही विपक्ष को कोई मौका भी नहीं दे रही मोदी सरकार। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने एक बार राम मंदिर का मामला उठाया और अयोध्या भव्य राम मंदिर का निर्माण हो गया है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में इसका सियासी फायदा भी बीजेपी को सीधे मिलता हुआ नजर आ रहा है।

2024 के शुरुआत से ही बीजेपी राम मंदिर के सहारे अपना वोट बैंक मजबूत करने में लग गई। सियासी समीकरण को साधने के लिए उसने कई लोगों को भारत रत्न देने का ऐलान कर डाला। इसके बाद मोदी सरकार में एक और बड़ा फैसला लिया है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र ने बड़ा दांव चलते हुए CAA को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया। सीएए के लागू होते ही बगैर दस्तावेज के अब पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए हिंदुओं, सिखों (गैर-मुस्लिम) को नागरिकता मिल जायेगी। इस तरह से इन लोगों को बड़ी राहत मिल गई है। सरकार ने कहा कि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार और इसमें बाहर से आए लोगों को रजिस्ट्रेशन करना होगा। ये भी बताना होगा कि उन्होंने भारत में एंट्री कब ली थी। इसके बाद जरूरी जांच पड़ताल की जाएगी और फिर उन आवेदकों को नागरिकता मिल सकेगी।

सरकार के इस कदम की तारीफ की जा रही लेकिन मुस्लिम समुदाय में इसको लेकर एक राय नहीं है। वही राजनीतिक दलों में CAA को लेकर भी टकराव है। पश्चिम बंगाल और केरल सरकार ने CAA को लागू करने से मना कर दिया है। इतना ही भी ममता ने मोदी सरकार पर भी हमला बोला है। वहीं कुछ लोग इसे मुसलमानों के खिलाफ बता रहे हैं, लेकिन सरकार ने इस पर सफाई देते हुए कहा है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश मुस्लिम बहुल इस्लामी गणराज्य हैं, इसलिए वहां के मुसलमानों को उत्पीड़ित अल्पसंख्यक नहीं माना जा सकता है।

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सीएए को दिसंबर, 2019 में संसद के दोनों सदनों में पास तो हो गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी। हालांकि उस समय इसे लागू नहीं किया जा सका था, क्योंकि राजनीतिक दलों के साथ मुस्लिम समुदाय ने इसका जमकर विरोध किया था। लोगों ने सड़कों पर उतरकर इसका विरोध किया था। मोदी सरकार ने कहा था कि वो इसे लागू करेगी और इसे लागू कर एक और वादा पूरा कर दिया है। केंद्र ने CAA करना काफी अहम, क्योंकि जल्द ही लोकसभा चुनाव होने वाले है और इसका असर चुनाव में देखने को मिलेगा।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

(यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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