जीवन एक सफ़र

सफ़र बहुत ख़ुशनुमा था। रास्ते में किसी तरह का व्यवधान नहीं पड़ा। मंज़िल भी बहुत दूर नहीं थी कि गाड़ी की गति बहुत धीमी हो गयी। तब तक मुझे अहसास…

हिंदी: राजभाषा, राष्ट्रभाषा और विश्वभाषा

(अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन, वाराणसी (13-14 नवंबर) के अवसर पर विशेष) एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है, बल्कि हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति और संस्कारों…

‘गांधी: एक पुनर्विचार’ पर राष्ट्रवादी लेखक संघ की साहित्यिक वैचारिकी!

लखनऊ: राष्ट्रवादी लेखक संघ के तत्वावधान में गांधी पर एक साहित्य वैचारिकी का आयोजन किया गया जिसमें देश-विदेश से वक्ता और लेखक जुड़े। ‘गांधी: एक पुनर्विचार’ कार्यक्रम में मुख्य वक्ता…

‘वैराग्य का परिपाक’

अनुभूत सत्य है कि वैराग्य की संकल्पना सिर्फ़ सिद्धों, संतों को ही नहीं, अपितु सामान्य साधकों, सज्जनों, सद्गृहस्थों को भी सदा से लुभाती रही है। किसी पर्णकुटी, गिरा-गह्वर में धुनी…

निगाहें

छलकते पैमाने हैं, आँखों में तेरी, मुझे मयक़शी का, नशा आ रहा है। निगाहों से कह दो, गिरफ़्तार कर लें, समर्पण करने को, दिल चाहता है। मचलते भ्रमर गुल पे,…

“अनकही अभिव्यक्ति”, कविता विचारों या तथ्यों की नहीं बल्कि अनुभूति की धरोहर है

लखनऊ: भारतीय समाज-शास्त्र एक ओर सैद्धान्तिक तौर पर नारी को आदर और सम्मान का पात्र घोषित करता है और “यत्र नार्यन्ति पूज्यंते तत्र रमन्ते देवता” जैसी उद्घोषणाएँ करता है तो…

दुख का मीत अंधेरा

सबके आंगन में आयेगा, खुशियों का फिर डेरा। इस दुनिया से मिट जायेगा, दुख का मीत अंधेरा। विपदाओं की गठरी से तुम, नहीं कभी घबराना। मुश्किल का जो पल आया…

संगदिल मैं नहीं

चांद से जा मोहब्बत करी चांदनी। रात काली अमावस अकेले रही।। याद में उसके मैं तो तड़पता रहा। वो तो साजन की बांहों में लिपटी रही।। ना कमी कोई मैंने…

मधुर मिलन

मधुर मिलन की प्रथम रात। जब मयखाने में आई थी।। नई नवेली मधु प्रेमी बन। कुछ सकुची शरमाई थी।। चाहत के घट छलक रहे थे। उमड़ रही उर की हाला।।…

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