एक आरजू उसके संग रहने की

चंचल माहौर ‘स्वर’ एक आरजू उसके संग रहने की। हवाओं में संग उसके बहने की। जुस्तजू इतनी सी रहे वो मेरे साथ, आदत नहीं खुद को बदलने की।। दर्द देने…

kahani: मां की ममता

शैलेंद्र कुमार यादव Kahani: छोटे से कसबे में समीर नाम का एक लड़का रहता था। (Motivational Story) बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के कारण परिवार की आर्थिक…

Story: सूने घर बुलाते हैं…

Story: किसी दिन सुबह उठकर (Motivational Story Hindi) एक बार इसका जायज़ा लीजियेगा कि कितने घरों में अगली पीढ़ी के बच्चे रह रहे हैं? कितने बाहर निकलकर नोएडा, गुड़गांव, पूना,…

पत्रकारिता से साहित्य में चली आई ‘न हन्यते’

आचार्य संजय द्विवेदी की नई किताब ‘न हन्यते’ को खोलने से पहले मन पर एक छाप थी कि पत्रकारिता के आचार्य की पुस्तक है और दिवंगत प्रख्यातों के नाम लिखे…

आत्मीयता से ओत-प्रोत स्मृतियां

प्रो. संजय द्विवेदी की उदार लोकतांत्रिक चेतना का प्रमाण उनकी सद्यः प्रकाशित पुस्तक ‘न हन्यते’ है। ‘न हन्यते’ पुस्तक में दिवंगत हुए परिचितों, महापुरुषों के प्रति आत्मीयता से ओत-प्रोत संस्मरण…

इसे कहते हैं कसक और चाहत

ट्रेन चलने को ही थी कि अचानक कोई जाना पहचाना सा चेहरा जर्नल बोगी में आ गया। मैं अकेली सफर पर थी। सब अजनबी चेहरे थे। स्लीपर का टिकट नहीं…

विश्व रेडियो दिवस पर सुनो मैं प्रेमचंद कार्यक्रम के 365 दिन पूरे

लखनऊ: उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद के गांव में घुसते ही एक आवाज सुनाई देती है, सुनो मैं प्रेमचंद। यह आवाज थोड़ी ही देर में प्रेमचंद की कहानियां सुनाने लगती है।…

चांद और मैं

मैंने महबूब को चांद, कह क्या दिया…! चांद कल रात हमसे, ख़फ़ा हो गया! चांद तनकर ये बोला कि, सुन ”अजनवी” तेरे महबूब में ऐसी, क्या है ख़ुबी…? मैं कहा…

शीत ऋतु का घेरा

धवल चांदनी छिटक रही है, नूर समेटे बांहों में। चुपके से आ जाओ प्रियतम, नैन निहारे राहों में। मन में विरह का ताप बहुत है, दूर..! निंद का डेरा है।…