आशुतोष तिवारी 'आशु'
आशुतोष तिवारी ‘आशु’

सबके आंगन में आयेगा,
खुशियों का फिर डेरा।
इस दुनिया से मिट जायेगा,
दुख का मीत अंधेरा।

विपदाओं की गठरी से तुम,
नहीं कभी घबराना।
मुश्किल का जो पल आया है,
निश्चित इसका जाना।
हर देहरी पर करेगा आकर,
सुख ही सदा बसेरा।
इस दुनिया से मिट जायेगा,
दुख का मीत अंधेरा।

नीर पीर के संग कभी भी,
नहीं रहेगा जीना।
रोग शोक का विष हम सबको,
नहीं पड़ेगा पीना।
सुख का जल कुल बरसायेगा,
बादल यहां घनेरा।
इस दुनिया से मिट जायेगा,
दुख का मीत अंधेरा।

नहीं कभी भी किसी समर में,
हार नहीं अब होगी।
सभी पियेंगे सुधा प्रेम की,
रार नहीं अब होगी।
पास सभी के आकर वैभव,
देगा हरदम फेरा।
इस दुनिया से मिट जायेगा,
दुख का मीत अंधेरा।

रंग बिरंगे फूलों से फिर,
महकेगा जग सारा।
इस धरती का हर इक कोना,
होगा प्यारा प्यारा।
रच देगा सबकी छवि अनुपम,
फिर से यहां चितेरा।
इस दुनिया से मिट जायेगा,
दुख का मीत अंधेरा।

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