राघवेंद्र प्रसाद मिश्र

Rajya Sabha Election 2024: राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता। यहां दोस्ती और दुश्मनी भी स्थाई नहीं होती। अवसरवाद की राजनीति में अपने कब बेगाने हो जाएं और बेगाने कब अपने हो बैठे कुछ कहा नहीं जा सकता। सपा सरकार में मंत्री रह चुके रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को पहचानने से इनकार करने वाले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव राजनीतिक हित साधने के लिए उनपर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। बता दें कि राजा भैया और समाजवादी के बीच दूरी राज्यसभा चुनाव को लेकर हुई थी, वहीं एकबार फिर से राज्यसभा चुनाव में वोट के लिए समाजवादी पार्टी की तरफ से राजा भैया की तरफ हाथ बढ़ाया गया है। इसी सिलसिले में सोमवार को सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, राजा भैया के घर रामायण पहुंचकर उनसे मुलाकात की है।

बता दें कि समाजवादी पार्टी से तल्खी बढ़ने के बाद राजा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने अपनी खुद की पार्टी जनसत्ता दल बना ली है। जनसत्ता दल से राजा भैया कुंडा से विधायक हैं। जबकि उनकी पार्टी से विनोद सरोज बाबागंज से विधायक चुने गए हैं। ऐसे में अखिलेश यादव का प्रयास है कि राजा भैया की पार्टी का दोनों वोट उन्हें राज्यसभा चुनाव में मिल जाए। सूत्रों की मानें तो इसी प्रस्ताव लेकर सपा नेता नरेश उत्तम पटेल, राजा भैया के बंगले पर पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि पटेल ने मुलाकात के दौरान मोबाइल फोन पर राजा भैया की अखिलेश यादव से बात करवाई है। सूत्र की मानें तो अखिलेश यादव ने समर्थन के बदले राजा भैया के सामने लोकसभा सीट देने का प्रस्ताव रखा है। समाजवादी पार्टी की तरफ से कौशांबी लोकसभा सीट राजा भैया को ऑफर की गई है।

समझौता होना आसान नहीं

फिलहाल राजा भैया व समाजवादी पार्टी की तरफ से कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है। लेकिन बीते दिनों अखिलेश यादव और राजा भैया के बीच जो तल्खी देखने को मिली थी, उससे यह समझौता हो पाना आसान नहीं लग रहा है। क्योंकि विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की तरफ से राजा भैया के खिलाफ उनके सबसे करीबी गुलशन यादव को चुनाव मैदान में उतारा गया था। हालांकि गुलशन यादव को राजा भैया से दुश्मनी के साथ हार का भी सामना करना पड़ा।

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कौन है राजा भैया

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में सरकार किसी भी दल की रही हो, लेकिन सत्ता में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की हनक साफ दिखती थी। वर्ष 2017 में मोदी लहर का असर राजा भैया के रसूख पर पड़ा। हालांकि इस दौरान वह खुद की जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी गठन किया, बावजूद इसके उनकी केवल खुद की सीट निकल पाई। राजनीति में रसूख खत्म होते ही अपने भी बेगाने हो जाते हैं। राजा भैया के साथ भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान प्रतापगढ़ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मीडिया के सवाल पर कहा था, कि कौन राजा भैया। अखिलेश ने ऐसा करके अपने स्वार्थ की राजनीति को जगजाहिर कर दिया था। क्योंकि राजा भैया की समाजवादी पार्टी से रिश्ते को सभी जानते हैं और अखिलेश यादव की सरकार में राजा भैया मंत्री भी रह चुके हैं।

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