Kavita: किस में कितनी क्षमता है
फूल नहीं जानता वह कौन सा फूल है हवा भी कहाँ जानती है किस में कितनी क्षमता है जमीन भी कहाँ तय कर पाती है कौन सा फूल कब गिरेगा…
फूल नहीं जानता वह कौन सा फूल है हवा भी कहाँ जानती है किस में कितनी क्षमता है जमीन भी कहाँ तय कर पाती है कौन सा फूल कब गिरेगा…
हम बहुत आम जगहों से आए थे बहुत आम जगहों पर रहे बहुत आम जगहों पर पढ़े और बेहद आम जगहों पर खाया जब अमीर लोग बड़े नोट निकाला करते…
काली औरतें छुपा ले गयी संसार के सारे काले करतूत धोखा खाकर सोचती रही घण्टों बंद कमरों में अपने माशूक को अपने निबालों में खाती रही भर-भर कर कोयले के…
वृक्ष हमारे जीवन दाता, स्वास्थ्य आरोग्य व प्राण प्रदाता। जानें इनके गुण गौरव को, है समाज से इनका गहरा नाता।। वृक्ष बचायें वृक्ष लगाएं, ज़न ज़न को मिल कर समझाएं।…
माँ भोर में उठती है कि माँ के उठने से भोर होती है ये हम कभी नहीं जान पाये। बरामदे के घोसले में बच्चों संग चहचहाती गौरैया माँ को जगाती…
खड़े रहना उनकी मजबूरी नहीं रही बस उन्हें कहा गया हर बार चलो तुम तो लड़के हो खड़े हो जाओ छोटी-छोटी बातों पर वे खड़े रहे कक्षा के बाहर… स्कूल…
बहुत-सी प्रेम कहानियाँ मर जाती हैं जातियों के तले दबकर, जातियाँ हँसती हैं और खिलखिला कर कहती हैं “लो मैंने तुम्हें मार दिया” और प्रेम अपनी आख़िरी साँस तक एक…
तलब इतनी न अपनी बढ़ाया करो, दाग-ए-दिल न किसी को दिखाया करो। गर्म आँसू हैं आँखों में देखो बहुत, घुट-घुटके न जीवन बिताया करो। अच्छे लोगों से दुनिया है भरी-पटी,…
किसी चीज़ में डूबो तो ऐसे डूबो कि डूबना भी सुन्दर दिखे किसी चीज के साथ खेलो तो ऐसे खेलो कि खेलना भी सार्थक लगे किसी के साथ साझा करो…
अचानक किसी दिन कविता के साए मंडराने लगते देह के अज्ञात में तब वह अज्ञात सी जेहन में पुकार लगाती, दस्तक देती फिर एक आवाज़ गूंजती कठफोड़वे की ठक ठक…