काली औरतें छुपा ले गयी
संसार के सारे काले करतूत
धोखा खाकर सोचती रही घण्टों
बंद कमरों में अपने माशूक को
अपने निबालों में खाती रही
भर-भर कर कोयले के टुकड़ें
और सहनशीलता

काली औरतें
ब्याही गयीं गोरी औरतों के नज़रबट्टूओं संग
जेबें भर दी गयी उनके
सोने-चाँदी और नगीनों से
परन्तु न चखा गया उन्हें चाव से
दूध में पड़ती मलाई की तरह,
वो बिछा दी गयीं बिना सूंघे ही

काली औरतें
घिसती रही सिलबट्टे पर अपनी चमड़ी का काला रंग
मिटाती रहीं अपने पतियों के कमीज़ पर पड़तें
रोज नए लिपस्टिक के निशान
अपनी आँखों के नमक से मिलाती रही
दाल में नमक स्वादानुसार

काली औरतें
सुखा देती हैं सारी टीस छत पर
अचार के मर्तबानों संग
बिस्तर की उचाट सिलवटों और रसोई के चूल्हें के दरम्यान
उनके बालों में कभी न सजाए गयें
गज़रें और गुलाब की पंखुड़ियाँ

काली औरतें
बतलायी गयीं असुंदर
उनका काला रंग कहलाया गया प्रेम के विरुध्द
वो बन गयीं
बेटी, सुहागिन और माँ
परन्तु रह गयीं अछूत
पत्नी और माशूका बनने से।

-नन्दिता सरकार

इसे भी पढ़ें: जाग रहा भारत फ़िर से

इसे भी पढ़ें: लो मैंने तुम्हें मार दिया

Spread the news