Kavita: लोकतंत्र के विजयोत्सव से

लोकतंत्र के विजयोत्सव से, ज़न ज़न में अभय भाव जागे। जीवन मूल्य सनातन होंगे, हो भारत में रामराज्य आगे।। एकात्म दृष्टि होगी समाज में, होगी सबको बढ़ने की सुविधा। चहुं…

Poem: बाल सुनहरे भारत के

बाल सुनहरे भारत के निर्माता और निदेशक हैं। वे जो भी स्वप्न संजोएंगे भावी के बड़े निवेशक हैं।। उनके हृदयों में हो भारत भारत की घनीभूत पूंजी। ऋषियों का उच्चासन…

Poetry: गांव को सार्थक करें

एकत्र हों साथ मिलकर गांव को सार्थक करें। हम बड़ा परिवार हैं सब प्रेरणा का स्वर भरें।। है दशहरा पूजन हमारा दस करें संकल्प हम सब। जो असम्भव हो सभी…

Poetry: सुख शांति समृद्धि चाहिए

तो सुदृढ़ करो ताना बाना। हो पड़ोसी हितकर अपना बजता वहीं आनन्द तराना।। भारत इस सुविधा से वंचित अतः नीति य़ह नहीं चलेगी। सोचो और विचारो मिलकर है बनी सोच…

Kavita: भारत को भारत ही कहिये

भारत को भारत ही कहिये भारत में ‘भा’रत हुई रहिए। भारत के कोई पर्याय भले हों विश्व को भारत ही चहिए।। भारत तो सत्य सनातन है ‘भा’रत ऋषि ज्ञान पुरातन…

Kavita: आओ पुनः जगाएं भारत को

जिनकी रगों में रक्त सनातन जिनके पूर्वज थे ऋषि हमारे, जो भय लोभ से बने विधर्मी हैं फिर भूले संस्कार वे सारे। भूले बिसरे रहे अभी तक मर्यादायें भी सब…