भारत को भारत ही कहिये
भारत में ‘भा’रत हुई रहिए।
भारत के कोई पर्याय भले हों
विश्व को भारत ही चहिए।।

भारत तो सत्य सनातन है
‘भा’रत ऋषि ज्ञान पुरातन हैI
है ज्ञान विज्ञान प्रज्ञान युक्त
तकनीकी में आधुनातन है।।

जीवन की सृष्टि से अब तक
मानवता का दिक दर्शक हैI
विविधि कलाओं से पोषित
गुण रूप सदा आकर्षक है।।

हैं समृद्धि युक्त भारतवासी
हम ब्रह्म एक जग विश्वासी।
वसुधैव कुटुम्बकम उद्गाता
भय लोभ मुक्त हैं संन्यासी।।

– बृजेंद्र

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