Poem: बाल सुनहरे भारत के

बाल सुनहरे भारत के निर्माता और निदेशक हैं। वे जो भी स्वप्न संजोएंगे भावी के बड़े निवेशक हैं।। उनके हृदयों में हो भारत भारत की घनीभूत पूंजी। ऋषियों का उच्चासन…

Kavita: भारत को भारत ही कहिये

भारत को भारत ही कहिये भारत में ‘भा’रत हुई रहिए। भारत के कोई पर्याय भले हों विश्व को भारत ही चहिए।। भारत तो सत्य सनातन है ‘भा’रत ऋषि ज्ञान पुरातन…

Kavita: एक दृष्टि

‘भा’रत भारत पुनः खड़ा हो, स्वामी विवेकानन्द ने बोला था। स्वर्णिम अतीत को जानेंगे सब, नव स्वाभिमान पथ खोला था।। झंझावातों में बढ़ हम सब ने, है कटक पथ की…