Pitru Paksha 2023: पितृ तीर्थ और श्राद्ध पक्ष में गया दर्शन
Pitru Paksha: यह मर्त्य लोक है। जो कुछ भी दिख रहा है, उसे निश्चित तौर पर नहीं रहना है। मर्त्य शब्द मृतिका से जुड़ा है। मृतिका अर्थात मिट्टी। जो भी…
Pitru Paksha: यह मर्त्य लोक है। जो कुछ भी दिख रहा है, उसे निश्चित तौर पर नहीं रहना है। मर्त्य शब्द मृतिका से जुड़ा है। मृतिका अर्थात मिट्टी। जो भी…
Pitru Paksha: प्रितिपक्ष की पितृ पूजा भी श्रीमन्नारायण की ही आराधना है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि वह पितरों में अर्यमा नामक पितर हैं। यह कह…
Pitru Paksha: प्रत्येक आकार का अंत अनिवार्य है। मृत को मृतिका में मिल जाने की अनिवार्यता है। यह विशुद्ध विज्ञान है। ऊर्जा विहीन देह को मृत कहा जा रहा, क्योंकि…
Mahant Digvijaynath: सिर्फ नाम के नहीं सचमुच के दिग्विजयी थे गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ (Mahant Digvijaynath)। उनके शिष्य और पीठ के मौजूदा पीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत…
Pt. Deendayal Upadhyay Special: वे सही मायनों में भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता थे। भारतीय राजनीति में उनके आगमन ने एक नया विमर्श खड़ा कर दिया और वैकल्पिक राजनीति को मजबूत…
भाषा का संबंध इतिहास, संस्कृति और परंपराओं से है। भारतीय भाषाओं में अंतर-संवाद की परंपरा बहुत पुरानी है और ऐसा सैकड़ों वर्षों से होता आ रहा है। यह उस दौर…
आचार्य विष्णु हरि मेरे पास कई दिनों से कॉल आ रहे थे कि घोसी में योगी की हार पर कुछ लिखिये। मैंने कह दिया कि कितनी गालियां खाऊं मैं, सच…
किसी भी राष्ट्र की सुख-समृद्धि का पता इस बात से चलता है कि वहां की प्रजा कितनी सुखी है और आर्थिक, सामाजिक और वैचारिक रूप से कितनी विकसित हुई है।…
मातृभाषा वैयक्तिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि का बोध कराती है। समाज को स्वदेशी भाव-बोध से सम्मिलित कराते हृए वैश्विक धरातल पर राष्ट्रीय स्वाभिमान की विशिष्ट पहचान दिलाती है। किसी भी देश…
किसी भी लोकतांत्रिक देश में जनता और सरकार के मध्य जन-जन की भाषा ही संपर्क भाषा के रूप में सार्थक भूमिका अदा कर सकती है। हिंदी, भारतीय संस्कृति के मूल…