Acharya Vishnu Hari Saraswati
आचार्य विष्णु हरि सरस्वती

आचार्य विष्णु हरि

मेरे पास कई दिनों से कॉल आ रहे थे कि घोसी में योगी की हार पर कुछ लिखिये। मैंने कह दिया कि कितनी गालियां खाऊं मैं, सच लिखने पर गालियां ही मिलती है। फिर मैंने सोचा कि लिखना ही चाहिए। सच को सामने लाना ही चाहिए। मैंने शोध किया, जानकारियां जुटाईं। उसका निष्कर्ष यह है कि राजपूतों और भूमिहारों ने भाजपा के उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को वोट नहीं दिया। समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुधाकर सिंह राजपूत हैं, इसलिए योगी की जाति राजपूतों ने सुधाकर सिंह को वोट दे दिया। सीएम योगी का करिश्मा राजपूतों पर चला नहीं।

भूमिहारों ने मनोज सिन्हा फैक्टर के कारण सीएम योगी को हराने के लिए सपा उम्मीदवार को वोट दे दिया। घोसी में 40 हजार वोट भूमिहारों का है। इससे कुछ कम वोट राजपूतों का है। पिछले लोकसभा चुनावों में भी भूमिहारों ने मोदी की जगह बसपा के भूमिहार उम्मीदवारों को ही वोट किया था। भूमिहारों की नाराजगी यह है कि मनोज सिन्हा की जगह योगी को मुख्यमंत्री क्यों बना दिया। दारा सिंह की घोसी में हुई हार के और कारण भी हैं पर प्रमुख रूप से यही कारण है। इन कारणों पर योगी आदित्यनाथ और भाजपा में मंथन भी हुआ है। घोसी में दारा सिंह की हार तो हुई पर असल में सीएम योगी की भी हार हुई। कहा जाने लगा कि मोदी और योगी की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है। इंडिया गठबंधन की बढ़ती हवा बतायी गयी, बढ़ते जनाधार को दिखाया गया। विभिन्न प्रकार के अन्य दावे भी किये गये।

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भाजपा के उम्मीदवार दारा सिंह दलबदलू थे और जनता में उनकी कोई विश्वसनीयता नहीं थी। मैं भी मानता हूं कि दारा सिंह जैसे अविश्वसनीय और नैतिक खोर राजनीतिज्ञ को भाजपा में शामिल नहीं कराना चाहिए था। फिर सनातन विरोधी और मुल्ला समर्थक सपा के उम्मीदवार को जिताने की नीति कहां तक उचित है? अखिलेश यादव और उनकी पार्टी का इतिहास कौन नहीं जानता। अखिलेश यादव के शासन का इतिहास ये जातियां क्यों भूल गयी? जाति आज और भी महत्वपूर्ण हो गयी है। जाति गोलबंदी और जाति यूनियनबाजी सनातन की कब्र खोद रही है। जाति तोड़ो, सनातन जोड़ो!

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

(यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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