‘वैराग्य का परिपाक’

अनुभूत सत्य है कि वैराग्य की संकल्पना सिर्फ़ सिद्धों, संतों को ही नहीं, अपितु सामान्य साधकों, सज्जनों, सद्गृहस्थों को भी सदा से लुभाती रही है। किसी पर्णकुटी, गिरा-गह्वर में धुनी…