Prerak Prasang: एक ही घड़ी मुहूर्त में जन्म लेने पर भी सबके कर्म और भाग्य क्यों होते हैं अलग-अलग

Prerak Prasang: एक बार एक राजा ने विद्वान ज्योतिषियों की सभा बुलाकर प्रश्न किया कि मेरी जन्म पत्रिका के अनुसार मेरा राजा बनने का योग था, मैं राजा बना, किन्तु…

Kahani: संतान के लिए अपमान भी मंजूर

Kahani: एक धनवान व्यक्ति था। उसके कई सारे मित्र थे, उसमें एक मित्र तो बहुत अधिक निर्धन था। एक दिन धनवान व्यक्ति ने अपने जन्मदिवस पर सभी मित्रों को अपने…

Kahani: सच्ची खुशी ईमानदारी और मेहनत में

Kahani: एक कसाई के घर एक बकरा और एक कुत्ता था। कसाई बकरे को हर दिन हरी-हरी घास खिलाता, साफ-सुथरी जगह पर रखता और उसकी देखभाल करता। अब बकरा देखो…

Kahani: संन्यासी की जड़ी-बूटी

Kahani: बहुत समय पहले की बात है, एक वृद्ध संन्यासी हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहता था। वह बड़ा ज्ञानी था और उसकी बुद्धिमत्ता की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी।…

Prerak Prasang: मृत्यु के साथ मिट जाते हैं रिश्ते

Prerak Prasang: एक बार देवर्षि नारद अपने शिष्य तुम्बरू के साथ मृत्युलोक का भ्रमण कर रहे थे। गर्मियों के दिन थे। गर्मी की वजह से वह पीपल के पेड़ की…

Prerak Prasang: स्वर्ग और नरक

Prerak Prasang: स्वर्ग- यह नाम है सुख विशेष या उस विशेष सुख को प्राप्त करने की सामग्री का। नरक- यह नाम है दुःख विशेष या उस दुःख को प्राप्त करने…

Kahani: थूकने वालों से दूर रहो

Kahani: एकबार नाव डूबने के बाद नाविक और पांच-सात कुशल तैराक नदी में तैरकर अपनी-अपनी जान बचाये। उधर नाव सबको नदी में छोड़, खुद आगे निकल गई। बचे हुए लोग…

Other Story