मातृभाषा में लिया गया ज्ञान ही सर्वश्रेष्ठ: प्रो. भूषण पटवर्धन

नई दिल्ली: भारत की विभिन्न भारतीय भाषाओं में ज्ञान का भंडार छिपा हुआ है। अगर विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में ज्ञान लेंगे, तो उनका संपूर्ण विकास संभव हो पाएगा। यह विचार…

फैक्ट’ और ‘फिक्शन’ एक ही घाट पर पी रहे हैं पानी

प्रो. संजय द्विवेदी भारत में इस समय 1 लाख से ज्यादा समाचार पत्र और पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं, अलग-अलग भाषाओं में हर रोज 17 हजार से ज्यादा अखबारों का प्रकाशन होता है और इनकी 10 करोड़ प्रतियां…

श्रद्धांजलि लेखः रचना, सृजन और संघर्ष से बनी थी पटैरया की शख्सियत

वे ही थे जो खिलखिलाकर मुक्त हंसी हंस सकते थे, खुद पर भी, दूसरों पर भी। भोपाल में उनका होना एक भरोसे और आश्वासन का होना था। ठेठ बुंदेलखंडी अंदाज…

पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा को पवित्र मानकर उसका पालन कीजिए : आलोक मेहता

नई दिल्ली। ‘‘पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा को पवित्र मानकर उसका पालन कीजिए। यह मार्ग कांटों भरा भले ही हो, लेकिन यदि आपके पास पूरे तथ्य और प्रमाण हैं, आपको अपने…

मानवाधिकारों की रक्षा पत्रकारिता की प्रतिबद्धता: प्रो. संजय द्विवेदी

नई दिल्ली। ‘एक सुंदर समाज की रचना करने में मीडिया प्रारंभ से ही लगा हुआ है। मीडिया के कारण ही मानव अधिकारों के बहुत सारे संवेदनशील मामले सामने आए हैं।…

बदलती मीडिया, उठते सवाल

मौजूदा समय में मीडिया का दायरा काफी व्यापक हुआ है लेकिन इस बीच खबरों की विश्वसनीयता काफी घटी है। बिना विश्वसनीयता के बेहतरी की उम्मीद करना बेमानी होगी। मीडिया शुरू…

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