श्रद्धांजलि लेखः रचना, सृजन और संघर्ष से बनी थी पटैरया की शख्सियत

वे ही थे जो खिलखिलाकर मुक्त हंसी हंस सकते थे, खुद पर भी, दूसरों पर भी। भोपाल में उनका होना एक भरोसे और आश्वासन का होना था। ठेठ बुंदेलखंडी अंदाज…

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