प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी
प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी

मीडिया का नैतिक कर्तव्य है कि वह सच बताए। वास्तव में मीडिया से जुड़े हर व्यक्ति, चाहे वह पत्रकार हों अथवा समाचार पत्रों व संचार के अन्य माध्यमों के मालिक हों, का यह उत्तरदायित्व है कि वे सच्चाई के साथ रहें। विश्वसनीय और भरोसेमंद होना उनके हित में ही है। आप देखिए कि ‘फेक न्यूज’ नाम का शब्द इतने जोर-शोर से पहले कभी नहीं सुना गया, जितना साल 2023 में सुना गया है। आज मीडिया के सामने विश्वसनीयता सबसे बड़ी चुनौती है और मैं इसे अस्तित्वगत चुनौती के रूप में देख रहा हूं। यह आश्चर्य की बात है कि कुछ क्षेत्रों में इस पहलू की अब भी अनदेखी की जा रही है। पिछले कई वर्षों से प्रेस के साथ ही संपूर्ण पत्रकारिता का परिदृश्य विकसित और विस्तारित हुआ है। आज हमारे पास प्रिंट मीडिया के साथ-साथ डिजिटल मीडिया, टेलीविजन मीडिया और सोशल मीडिया भी हैं।

मीडिया बिरादरी असंख्य तकनीकी और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों को अपनाने और इन परिवर्तनों के कारण आने वाली चुनौतियों से निपटने में सक्षम रही है। साल 2023 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और चैट-जीपीटी जैसे नवाचारों ने हमारे सामने अवसरों के साथ-साथ अद्वितीय चुनौतियाँ भी प्रस्तुत कर दी हैंI मेरे ख्याल से साल 2023 को हमें ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में मीडिया’ के तौर पर देखना चाहिये। ऐसे विश्व में जहां सूचना और संचार तेजी से बदल रहे हैं, हमारे लिए मीडिया परिदृश्य पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के गहरे प्रभाव को समझना महत्वपूर्ण है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आगमन ने हमारे समाचार, सूचना और मनोरंजन प्राप्त करने और उपभोग करने के तरीके को बदल ही दिया है। एआई अब हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। एआई-संचालित एल्गोरिदम अब प्रत्येक व्यक्ति के लिए ऐसी वैयक्तिकृत सामग्री तैयार करते हैं, जिससे लोगों के लिए अपनी इच्छित जानकारी तक पहुंच सरल हो जाती है।

12 दिसंबर, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘कृत्रिम मेधा पर वैश्विक साझेदारी’ (जीपीएआई) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि “एआई 21वीं सदी में विकास का सबसे बड़ा जरिया बन सकती है लेकिन यह 21वीं सदी का विनाश करने की भी समान रूप से ताकत रखती है।” उन्होंने कहा कि डीपफेक, साइबर सुरक्षा और डेटा चोरी की चुनौती के अलावा एआई उपकरणों का आतंकवादियों के हाथों में पड़ना एक बड़ा खतरा है। अगर एआई से लैस हथियार आतंकवादी संगठनों तक पहुंच गए तो वैश्विक सुरक्षा को एक बड़े खतरे का सामना करना पड़ेगा।

मीडिया के लोगों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हजारों लोगों की नौकरियों को खतरे में भी डाल रहे हैं। इन चुनौतियों का सामना करते हुए, पत्रकारों और मीडिया विशेषज्ञों के उत्तरदायित्व भी बढ़ गए हैं और जिसके लिए सत्य, सटीकता और जवाबदेही के सिद्धांतों के प्रति और भी अधिक प्रतिबद्ध होने की आवश्यकता है। आने वाले समय में किसी भी सूचना को प्रसारित करने से पहले मीडिया संगठनों और मीडिया क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों को दोगुना सावधान और सतर्क रहना होगा।

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में हानि पहुँचाने की क्षमता होने के बाद भी हमें यह स्वीकार करना होगा कि इस तकनीक का अब यहाँ उपयोग होगा ही। यह एक ऐसी तकनीक है जिसके नियमन को लेकर प्रौद्योगिकी जगत में ऊपर से चिंताएं उठती रही हैं, लेकिन एक बात तो निश्चित है कि यह अब हमारे साथ ही रहेगी और हमें इसे अनुकूलित और विनियमित करने के साथ ही इसका समाधान भी निकालना पड़ेगा। हमें अब बदलते परिदृश्य के अनुरूप ढलने के साथ ही अपनी क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए एआई की परिवर्तनकारी क्षमता को एक उपकरण के रूप में प्रयोग में लाना होगा,और साथ ही इसके दुरुपयोग से भी बचाव करना होगा।

रिपोर्टिंग के माध्यम से जनता को विश्वसनीय, निष्पक्ष और तथ्य-आधारित जानकारी प्रदान करना अब भी हमारी जिम्मेदारी बनी हुई है। मैं एआई के युग में वर्ष 2024 में उत्तरदायित्वपूर्ण और नैतिक पत्रकारिता की आवश्यकता पर जोर देना चाहूंगा। यह सर्वोपरि है कि पत्रकार और मीडिया संस्थान सत्यनिष्ठा के उच्चतम मानकों को बनाए रखें। हमें एआई को उन मूल्यों से समझौता करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए जो किसी स्वतंत्र और जीवंत प्रेस की नींव हैं। यह आवश्यक है कि हम एक स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया का वातावरण बनाए रखें। चौथा स्तंभ सरकार के प्रहरी के रूप में कार्य करके, सत्ता में बैठे लोगों को उत्तरदायी बनाकर और नागरिकों को सूचित करके लोकतांत्रिक समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एआई के युग में, मीडिया संगठनों को पत्रकारिता, नैतिकता, निष्पक्ष रिपोर्टिंग और तथ्यों को जानने के जनता के अधिकार के प्रति अटूट समर्पण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में एकजुट होना चाहिए।

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इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन (आईडीसी) की की नई रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत का एआई मार्केट जो वर्ष 2020 में 3.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर था, वह वर्ष 2025 तक 7.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। आईडीसी का अनुमान है कि भारत का एआई सॉफ्टवेयर मार्केट 2020 के 2,767.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2025 में 6,358.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगा।

भारत की प्रगति इस प्रकार पहले कभी नहीं हुई । भारत के विकास से पूरी दुनिया स्तब्ध है। तकनीकी की पहुंच अब अंतिम व्यक्ति तक और सुदूर गांवों तक है। मीडिया को चिंतन करने, पुनर्विचार करने, आत्मावलोकन करने और नैतिकता तथा उच्च स्तर की व्यावसायिकता का साथी बनने की जरूरत है।आइए पत्रकारिता के उन सिद्धांतों को बरकरार रखते हुए एआई की क्षमता का उपयोग करते हुए नवाचार और जिम्मेदारी की उस भावना के साथ आगे बढ़ें, जिसने कई पीढ़ियों से हमें अच्छी सेवा दी है।हम सभी साथ मिलकर इस नए युग में आगे बढ़ सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि प्रगतिशील मीडिया हमारे लोकतंत्र में सच्चाई और उत्तरदायिता का प्रतीक बना रहे।

(लेखक भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC), नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक हैं।)

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