राघवेंद्र प्रसाद मिश्र

लखनऊ: सरकार कोई भी हो सबका दवा यही होता है कि उनकी सरकार में सबकुछ चंगा है। जनता आराम है उसे कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि अगर सबकुछ चंगा है तो अधिकारियों के कार्यालयों में फरियादियों की भीड़ क्यों हैं? मुख्यमंत्री जनता दरबार में आने वाले लोग कौन हैं? इन सब सवालों के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अपनी सरकार के 100 दिन (Yogi government ke Hundred days) पूरे होने पर रिपोर्ट कार्ड पेश किया है। मुख्यमंत्री की तरफ से पेश इस रिपोर्ट कार्ड (report card of Yogi) में दावा किया गया है कि बीजेपी की सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ गहरी छाप छोड़ी है। मंत्रियों को लेकर अधिकारियों तक सभी को बेहतर काम करने की नसीहत भी दी गई। बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही विधायकों और मंत्रियों को अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से दूर रहने की नसीहत दी थी। नतीजा यह हुआ कि जो अधिकारी नेताओं के दबाव में जनता की फरियाद सुनते थे, वह इतने निरंकुश हो गए कि विधायकों व मंत्रियों तक को काम करवाने के लिए सीएम योगी तक से सिफारिश करनी पड़ी।

बीजेपी सरकार की इसी निष्पक्षता का उसे लाभ मिला। तमाम परेशानियों के बावजूद जनता ने बीजेपी को ही बेहतर सरकार माना और योगी आदित्यनाथ को दोबारा सत्ता सौंपी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इमानदारी में कोई संकोच नहीं किया जा सकता। लेकिन इस सच को भी नहीं खारिज किया जा सकता कि बीजेपी राज में रिश्वतखोरी काफी बढ़ गई है। अधिकारी सख्ती की बात कहकर काम के बादले दाम काफी बढ़ा दिए हैं। सूत्रों की मानें तो जनता के बीच चर्चा है कि अन्य सरकारों में पैसा देने पर काम हो जाता था, पर इस सरकार में ज्यादा पैसा देने के बाद भी काम हो जाने की गारंटी नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शिकायत पोर्टल, हेल्पलाइन नंबर सब दिखावा मात्र है।

मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 1076 जहां औपरिकता निभा रहा है, वहीं सीएम शिकायत पोर्टल पर शिकायत की जांच व कार्रवाई किए बिना अधिकारियों की तरफ से शिकायत के निस्तारण की रिपोर्ट लगा दी जा रही है। इन सब के बीच पिस रही है निष्पक्ष सरकार चुनने वाली जनता। अपराधियों के अवैध निर्माण को जहां तोड़ा जा रहा है, वहीं मुख्यमंत्री के तरफ से अधिकारियों को अवैध निर्माण खाली कराने का भी निर्देश दिया गया है। अधिकारी यहां भी कमाई करने में जुट गए हैं।

जिन अवैध निर्माण वालों से उचित दाम मिल रहा है, उस जमीन पर निर्माण होने के बावजूद अधिकारियों की तरफ से खाली होने की रिपोर्ट लगाई जा रही है। जहां दाम नहीं तय हो पा रहा है उनके आशियान को बिना किसी संकोच के तोड़ने की प्रक्रिया जारी है। दोनों की सूरता में अधिकारी सरकार के साथ जनता को बेवकूफ बनाने में जुटे हैं। मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर से सटे बस्ती जनपद के हर्रैया तहसील के कप्तानगंज थाना क्षेत्र के लोढ़वा गांव निवासी महीनों से सरकारी जमीन पर अवैध कब्जो किए जाने की शिकायत डीएम से लेकर मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल से कर चुके हैं।

बस्ती जिलाधिकारी जहां जांच तहसील को लेकर अपने दायित्वों का इतिश्री कर ले रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल पर बिना की कार्रवाई के मामले के निस्तारण की रिपोर्ट लगा दी जा रही है। उधर यूपी पुलिस की ऐसी छवि बनी है कि इनसे अपराधी से ज्यादा आम आदमी खौफ खा रहा है। कोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस हत्या जैसे मामले में विवेचना रिपोर्ट नहीं लगा रही है।

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अपराधियों को बचाने में यूपी पुलिस कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। ऐसा ही मामला मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर से सामने आया है। यहां राजघाट पुलिस पिछले डेढ़ साल से अबेडकर नगर निवासी की हत्या की विवेचना रिपोर्ट अटकाए पड़ी है। जबकि इसको लेकर कोर्ट कई बार राजघाट थानाध्यक्ष को तलब कर चुकी है। मनमानी का आलम यह है कि राजघाट पुलिस न तो अपनी रिपोर्ट लगा रही है और न ही कोर्ट में हाजिर हो रही है।

फिलहाल इन सबके बीच सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में चौमुखी विकास हो रहा है। जनता नेताओं की नहीं अधिकारियों के शोषण का शिकार हो रहे हैं। छोटे अपराधी जहां पुलिस से मिले हुए हैं, वहीं बड़े अपराधियों की शामत आई हुई है। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से अपराधियों व भ्रष्टाचारियों पर लगातार जारी कार्रवाई से लोगों में यह उम्मीद अभी भी जिंदा है कि आगे चलकर अच्छा होगा।

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