गौरव तिवारी

प्रतापगढ़: रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (Raghuraj Pratap Singh) कुंडा विधानसभा सीट से कई वर्षों से विधायक हैं। चुनाव में सभी विपक्षी पार्टियों की नजर कुंडा विधानसभा सीट पर जरूर रहती है। चाहे सत्ता किसी भी पार्टी की हो, लेकिन कुंडा सीट को हासिल करना विपक्षी पार्टियों के मुश्किल हो जाता है और हार का सामना करना पड़ता है। वहां न किसी विपक्षी पार्टी का प्रचार-प्रसार काम आता है, न जनसंपर्क। अंत में जीत राजा भैया की हो जाती है। यही कारण है कि वह कुंडा सीट से कई बार विधायक चुने जा चुके हैं। राजा भैया ने राजनीति में कई मुकाम हासिल किये हैं। जनता के बीच उनकी लोकप्रियता अभी भी बरकरार है।

अभी तक उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा है, लेकिन इस बार वह जनसत्ता दल “लोकतांत्रिक पार्टी” के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे वो भी कुंडा विधानसभा सीट से। नवंबर 2018 में रघुराज प्रताप सिंह “राजा भैया” ने जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी का स्थापना किया था।आज सब उन्हें रघुराज प्रताप सिंह से ज्यादा राजा भैया के नाम से जानते हैं और यही नाम उनका सबसे अधिक लिया भी जाता जाता है। उनके एक चेहरे भाई हैं, जिनका नाम अक्षय प्रताप सिंह ‘गोपाल जी’ है, जो पूर्व सांसद रह चुके हैं और इस समय वर्तमान में प्रतापगढ़ के एमएलसी (MLC) हैं। वह राजा भैया के सबसे करीबियों में से एक हैं।

Raja Bhaiya

राजा भैया की शिक्षा और राजनीति की शुरुआत

रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया अवध के भदरी रियासत से संबंध रखते हैं। उनके पिता उदय प्रताप सिंह भदरी के महाराज हैं। राजनीति में आने वाले राजा भैया परिवार के पहले सदस्य हैं। हालांकि उनके पिता नहीं चाहते थे कि वह पॉलिटिक्स में आएं। राजा भैया ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पिता उदय प्रताप सिंह ने उनसे कहा था कि पहले अपने गुरुजी से आज्ञा लो। वह हां, कहेंगे तभी राजनीति में जाना, वैसा ही हुआ भी।

इसे भी पढ़ें: राजा भैया का करीबी उन्हीं के खिलाफ ठोकेंगे ताल

पिता नहीं चाहते थे पढ़ाना

राजा भैया ने ये भी बताया कि उनके पिता उनकी एजुकेशन के खिलाफ थे। राजा भैया के पिता को लगता था कि वह पढ़ लिख लेंगे तो कायर बन जाएंगे। राजा भैया ने बताया था कि उनकी मां ने पिता की मर्जी के खिलाफ उनके पिता से छुपाकर उनका दाखिला इलाहाबाद करवा दिया। वहां से स्कूल की शिक्षा लेने के बाद राजा भैया लखनऊ चले गए।

वकालत की पढ़ाई की

लखनऊ में राजा भैया ने विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। उन्होंने ग्रेजुएशन में आर्ट्स चुना। बीए करने के बाद राजा भैया ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से ही वकालत की भी पढ़ाई की। राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह प्रतापगढ़ के आसपास के इलाकों में भी काफी रसूख रखते हैं। लोग उन्हें आज भी महाराज कहकर ही पुकारते हैं।

इसे भी पढ़ें: बीएसएस एकेडमी में मनाया गया गणतंत्र दिवस

Spread the news