शास्त्र सुरक्षित रहेंगे
जीवंत रहे व्यवहार।
उत्सव पूर्वक मनेंगे
शांति मय त्योहार।।

शस्त्र पूजन कीजिए
नियमित हो अभ्यास।
जीवन की शांति रहे
है यही सनातन न्यास।।

घर घर जाई देखिये
है कौन शस्त्र का हेतु।
स्व रक्षा हित चाहिए
बनिये मिल कर सेतु।।

हिंसा के रक्षक यही
सब बनिये पूर्ण समर्थ।
सभी दिशाओं में बढ़ो
सामर्थ्य न जाए व्यर्थ।।

-बृजेंद्र

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