Vishnugupta
आचार्य श्री विष्णुगुप्त

भाजपा को एक बार फिर नीतीश कुमार ने लात मारी, एक बार फिर भाजपा मूर्ख बन गयी। नीतीश कुमार के सामने भाजपा के बड़े-बड़े महाराथी और तीसमारखां संस्कृति के नेता देखते रह गये और नीतीश कुमार भाजपा को एक झटके में जमीन पर पटक कर अपना अलग गठबंधन खड़ा कर लिया। भाजपा के लोग अब नीतीश कुमार के खिलाफ तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं। कोई उन्हें विश्वासघाती कह रहा है, तो कोई उन्हें अनैतिक कह रहा है, कोई उन्हें अति महत्वांकाक्षी कह रहा है, कोई उन्हें भस्मासुर कह रहा है।

भाजपा के लोग इस बात को क्यों ढक देते हैं कि इतने वर्षों तक इस अनैतिक और विश्वासघाती नीतीश कुमार को अपने कंधों पर बैठा कर क्यों घूमते रहें? बार-बार नीतीश कुमार की लात भाजपा क्यों खाती रही? भाजपा का स्वाभिमान नीतीश कुमार की लात खाने के बाद भी क्यों नहीं जगता था? नीतीश कुमार के सामने भाजपा कभी भी तन कर क्यों नहीं खड़ी हो सकी? संख्या बल ज्यादा होने के बाद भी भाजपा नीतीश कुमार को अपने कंधों पर बैठाने की धूर्तता क्यों करती रही?

नीतीश कुमार अब भाजपा विरोधी चेहरा होंगे, नरेन्द्र मोदी के विकल्प के रूप में सामने किये जायेंगे। नीतीश कुमार के साथ सोनिया गांधी भी होंगी, कम्युनिस्ट भी होंगे और लालू प्रसाद यादव का जातिवादी कुनबा भी होगा। नया गठबंधन के पीछे सोनिया गांधी की भूमिका है। सोनिया गांधी ने ही लालू के जातिवादी और परिवारवादी कूनबे को साथ आने के लिए तैयार किया। सोनिया गांधी को अपने परिवारिक कुनबे को फिर से राजनीतिक सिरमौर के तौर पर स्थापित करने के लिए नीतीश कुमार जैसे लोगों की आवश्यकता है। सोनिया गांधी को नरेन्द्र मोदी से मुक्ति चाहिए और नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री की कुर्सी चाहिए। भविष्य में नीतीश कुमार लालू और सोनिया गांधी के कुनबे के लिए भस्मासुर बनेंगे या फिर मसीहा बनेंगे यह देखना दिलचस्प होगा?

Nitish Kumar out NDA alliance

नीतीश कुमार ने पूरी भाजपा ही नहीं, बल्कि लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी बाजपेयी की विरासत को भी अपमान की लात मारी थी। पटना में आयोजित भाजपा के राष्ट्रीय सम्मेलन में आये सभी भाजपा नेताओं को नीतीश कुमार ने चाय और नाश्ते पर आमंत्रित कर रखा था। चाय नाश्ते के लिए निर्धारित समय से कुछ मिनट पहले नीतीश कुमार ने अपने आवास पर लालकृष्ण आडवाणी, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह सहित अन्य नेताओं को आने से मना कर दिया था और चाय-नाश्ता कराने से मना कर दिया था। अटल-आडवाणी की विरासत इस अपमान को भी पचा गयी। जबकि भाजपा के सहारे नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे। नीतीश कुमार की इस करतूत के पक्ष में भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी पैरवी करते रहे और मुस्लिम नाराजगी का तर्क गढ़ते व फेकते रहे थे।

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भाजपा के पटना में आयोजित राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में सुशील मोदी ने गुजरात के मोदी विकास मॉडल को खारिज कर दिया था और नीतीश कुमार के बिहार विकास मॉडल को देश का मॉडल और सर्वश्रेष्ठ शासन का मॉडल ठहरा दिया था। सुशील मोदी की इस करतूत पर नरेन्द्र मोदी हतप्रभ थे। भाजपा के एक नेता जिनका नाम सुनील सिंह है, सुनील सिंह अब संसद सदस्य हैं ने सुशील मोदी से एक प्रश्न पूछ दिया था, कि अगर नीतीश कुमार का विकास मॉडल सबसे अच्छा मॉडल है तो फिर बिहार में गरीबी रेखा में जीने वालों की संख्या क्यों बढ़ी है, नीतीश कुमार के सर्वश्रेष्ठ विकास मॉडल वैसे बिहारियों के पलायन और अपमान को क्यों नहीं रोक रहा है जो दूसरे प्रदेशों में जीवनापार्जन करने जाते हैं और अपमान, घृणा का शिकार होते हैं? इस पर तत्कालीन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को बहुत परेशानी हुई थी और सुशील मोदी की भी बहुत थू-थू हुई थी।

दूसरी बार लात भाजपा ने तब खायी थी, जब नीतीश कुमार ने भाजपा के द्वारा घोषित और समर्थित राष्ट्रपति के उम्मीदवार को वोट देने से इनकार कर दिया था। भाजपा ने पीए संगमा को राष्ट्रपति पद पर समर्थन दिया था, लेकिन नीतीश कुमार ने कांग्रेस के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को वोट किया था। गठबंधन में मुख्यमंत्री रहते हुए नीतीश कुमार ने यह धूर्तता की थी। तीसरी बार भाजपा तब लात खायी जब नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने पर लालू की पार्टी के साथ सरकार बनायी थी और भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया था। नीतीश कुमार उस काल में कहते थे कि भाजपा सांप्रदायिक पार्टी है, हम भाजपा का नाश कर ही दम लेंगे।

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चौथी बार भाजपा फिर नीतीश कुमार से लात तब खायी जब नीतीश कुमार की शर्तों पर सरकार बनी। नीतीश कुमार भाजपा को झुकने के लिए मजबूर किया। लालू की पार्टी से विश्वासघात कर भाजपा के साथ सरकार बनायी थी। पाचवीं बार भाजपा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की लात खायी थी। भाजपा ने अपनी जीती हुई लोकसभा सीटें नीतीश कुमार को सौंपी थी। राजनीति में ऐसा बहुत कम होता है जब कोई पार्टी अपनी जीती हुई सीट छोड़ देती है और गठबंधन वाले दल को लड़ने के लिए दे देती है।

छठी बार भाजपा तब लात खायी थी जब पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी का बूरा प्रदर्शन हुआ और भाजपा की सबसे ज्यादा सीटें आयी। नीतीश कुमार ने कह दिया कि मुख्यमंत्री मैं ही रहूंगा, तुम्हें समर्थन देना है तो दो, या फिर हम राजद के साथ सरकार बनायेंगे। भाजपा फिर लात खाते हुए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बना दिया। अब भाजपा सातवीं बार लात खायी। नीतीश कुमार भाजपा को लात मार कर राजद और कांग्रेस के साथ सरकार बना लिया। भाजपा को सांप्रदायिक कह कर नीतीश कुमार खूब खिल्ली उड़ाएंगे।

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बिहार के कार्यकर्ता भाजपा की इस दुर्गति के लिए सीधे तौर पर सुशील मोदी और राष्ट्रीय स्तर पर कमजोर व रीढ़ विहीन नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराते हैं। सुशील मोदी हमेशा से नरेन्द्र मोदी का विरोधी और भाजपा की कब्र खोदने वाले रहे हैं। सुशील मोदी की पहचान भस्मासुर, छेदा और नीतीश कुमार की स्टेपनी की रही है। उल्लेखनीय है कि सुशील मोदी ईद-बकरीद पर मुस्लिम छेदा टोपी और आतंकवादी पहचान वाला गमछा ओढ़ने में गर्व महसूस करते रहे हैं।

सुशील मोदी अप्रत्यक्ष तौर पर नीतीश कुमार को देश का प्रधानमंत्री बनवाने की कोशिश करते रहे थे। सुशील मोदी सरेआम कहा करते थे कि नरेन्द्र मोदी देश का कभी भी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे, क्योंकि नरेन्द्र मोदी ने मुस्लिम छेदा टोपी पहने से इनकार कर दिया है। मुसलमानों को नाराज कर कोई नेता प्रधानमंत्री बन सकता है क्या? यह देश धर्मनिरपेक्ष है, इसलिए नरेन्द्र मोदी को धर्मनिरपेक्षता का पालन करते हुए मुस्लिम छेदा टोपी और गमछा धारण करना ही चाहिए था।

लालकृष्ण आडवानी को भ्रमित करने वाली एक टोली हुआ करती थी, जो नीतीश कुमार के लिए पैरबी करती थी। उस टोली के लीडर नर्क-स्वर्ग भोगी अरुण जेटली हुआ करते थे। लालकृष्ण आडवानी को निपटाने के खेल में भाजपा के ऐसे-ऐसे राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये जो नगर पालिका की राजनीति की संस्कृति के थे। नितीन गडकरी की पहचान राष्रीजोय नहीं थी। राजनाथ सिंह विधानसभा का चुनाव हार गये थे। फिर अटल बिहारी वाजपेयी की नाराजगी व घृणा का शिकार कल्याण सिंह हो गये और इसका पुरस्कार राजनाथ सिंह को मिल गया। राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये।

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राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्री कार्यकाल के कारण उत्तर प्रदेश में भाजपा बूरी तरह से पराजित हुई थी। प्रमोशन पाते-पाते राजनाथ सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये। जब ऐसे-ऐसे कमजोर और रीढ़ विहीन लोग भाजपा के अध्यक्ष पद पर राज करेंगे तो फिर नीतीश कुमार जैसे अनैतिक और विश्वासघाती लोग भाजपा को लात मारेंगे ही। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नीतीश कुमार ने नरेन्द्र मोदी की हत्या कराने की सुरक्षा चूक करायी थी। पटना के गांधी मैदान में नरेन्द्र मोदी की सभा में सीरियल बम विस्फोट हुए थे, कई जानें गयी थीं, सैकड़ों लोग घायल हुए थे।

बिहार के भाजपा कार्यकर्ता नीतीश कुमार के इस कदम से खुश हैं और नीतीश कुमार से मुक्ति पर जश्न भी मना रहे हैं। भाजपा के कार्यकर्ता अब नीतीश के गठबंधन सरकार के खिलाफ लड़ सकेंगे। भाजपा के लिए बिहार में एक अवसर भी है। पर भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व इस अवसर को पकड़ पाता है या नहीं, यह कहना मुश्किल है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

(यह लेखक के निजी विचार हैं)

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