नई दिल्ली: अवसरवाद की राजनीति में किसी की जरूरत तब तक होती है, जबतक राजनीतिक दलों की महत्वाकांक्षा की पूर्ति न हो जाए। इस बात का अभास अब किसान नेता राकेश टिकैत को होने लगा होगा। क्योंकि कृषि कानूनों के विरोध में जारी आंदोलन का समय जैसे जैसे बीतता जा रहा है, राजनीतिक दलों का इनसे दूरी बढ़ती जा रही है। पंजाब में चूंकि विधानसभा चुनाव करीब है ऐसे में कांग्रेस का प्रदर्शनकारी किसानों के साथ देना मजबूरी है। बाकी अधिकतर दलों ने अब कृषि कानूनों पर कुछ भी बोलने से दूरी बना ली है। वहीं किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत का पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी तगड़ा झटका दिया है।

ममता बनर्जी पांच दिवसीय दौरे पर दिल्ली आई हुई थीं। इस दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कीं। इसके अलावा ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों के बड़े नेताओं से मुलाकात कर विपक्षी एकजुटता को मजबूत करने पर जोर दिया। बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ध्रुव विरोधियों में से एक हैं। ऐसे में यह कयास लगाया जा रहा था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दिल्ली के अलग अलग बार्डरों पर प्रदर्शन कर रहे किसान व किसान नेताओं से मिलने भी जाएंगी। इसी के तहत दिल्ली गेट पर राकेश टिकैत सहित कई किसान नेता ममता बनर्जी के आने का इंतजार भी कर रहे थे।

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इसे लेकर खबर भी आई थी कि ममता बनर्जी प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने जाएंगी। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी किसानों से बिना मिले ही पश्चिम बंगाल लौट गईं। इसके पीछे क्या वजह थी इसका पता नहीं चल सका है। लेकिन ममता बनर्जी के आने का इंतजार कर रहे किसान नेताओं को निराशा हाथ लगी है। दिल्ली गेट पर ममता बनर्जी के आने का इंतजार कर रहे राकेश टिकैत से जब इस संदर्भ में बात की गई तो उन्होंने कहा कि मीडिया के माध्यम से उन्हें उनके यहां आने की जानकारी मिली थी। किसानों की तरफ से ममता बनर्जी को कोई न्योता नहीं दिया गया था।

वहीं दूसरी तरफ जानकारी मिल रही है कि ममता बनर्जी किसानों से मिलने की इच्छुक नहीं थीं और न ही उनके तय कार्यक्रम में ऐसा कोई प्लान था। बताते चलें कि पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान किसान नेता राकेश टिकैत वहां भाजपा के खिलाफ प्रचार करने के लिए गए थे। इतना ही नहीं ममता बनर्जी के फिर से मुख्यमंत्री बनने पर राकेश टिकैत सहित कुछ और किसान नेता पश्चिम बंगाल जाकर उन्हें जीत की बधाई भी दी थी। सूत्रों की मानें तो ममता बनर्जी किसान नेताओं से फोन पर बात करती रहती हैं।

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