Kahani: एक सज्जन ने तोता पाल रखा था और उस से बहुत स्नेह करते थे, एक दिन एक बिल्ली उस तोते पर झपटी और तोता उठा कर ले गई वो सज्जन रोने लगे तो लोगों ने कहा, प्रभु आप क्यों रोते हो? हम आपको दूसरा तोता ला देते हैं, वो सज्जन बोले, मैं तोते के दूर जाने पर नहीं रो रहा हूं। पूछा गया, फिर क्यों रो रहे हो?

कहने लगे, दरअसल बात ये है कि मैंने उस तोते को रामायण की चौपाइयां सिखा रखी थी वो सारा दिन चौपाइयां बोलता रहता था। आज जब बिल्ली उस पर झपटी तो वो चौपाइयाँ भूल गया और टाएं टाएं करने लगा। अब मुझे ये फिक्र खाए जा रही है कि रामायण तो मैं भी पढ़ता हूँ, लेकिन जब यमराज मुझ पर झपटेगा, न मालूम मेरी जिव्हा से रामायण की चौपाइयाँ निकलेंगी या तोते की तरह टाएं-टाएं निकलेगी।

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इसीलिए महापुरुष कहते हैं कि विचार-विचार कर तत्त्वज्ञान और रुपध्यान इतना पक्का कर लो कि हर समय, हर जगह भगवान के सिवाय और कुछ दिखाई न दे, हर समय जिव्हा पर राधे-राधे या राम-राम चलता रहे। अन्तिम समय ऐसा न हो हम भी तोते की तरह भगवान के नाम की जगह हाय-हाय करने लगें..!!

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