इंदौर: लोकमंगल का वाहक बनकर उभरा है साहित्य। आज का समय विचारों की घर वापसी का समय है। विचारों की यह घर वापसी भारतीयता की ओर वापसी है। हम पश्चिम के नहीं अपने विचारों को अपनाकर आगे बढ़ सकते हैं। बहुभाषीय होना हम भारतीयों की ताकत है।

यह बात भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने कही। वे रविवार दोपहर वरिष्ठ शिक्षक और लेखक डॉ. एसएन तिवारी स्मृति साहित्य सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। समारोह में पांच रचनाकारों को सम्मानित किया गया। इंदौर प्रेस क्लब के राजेंद्र माथुर सभागृह में आयोजित समारोह की अध्यक्षता साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश के निदेशक डॉ. विकास दवे ने की।

The bearer of literary welfare

उन्होंने कहा कि वर्तमान युग साहित्य और पत्रकारिता के समन्वय का स्वर्णिम युग है। ऐसे साहित्यिक आयोजनों से भाषा और साहित्य की पुरानी गरिमा लौटाने में मदद मिलती है। विशेष अतिथि इंदौर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविन्द तिवारी ने इंदौर में बढ़ती साहित्यिक गतिविधियों पर प्रसन्नता जाहिर की। स्वागत भाषण सुषमा दुबे ने और संस्था व अतिथि परिचय मुकेश तिवारी ने दिया। अतिथियों का स्वागत श्री दिनेश शुक्ला, डॉ. सोनाली सिंह और डॉ. दीपा व्यास ने किया। संचालन प्रथमेश व्यास ने किया। आभार देवेंद्र सिंह सिसौदिया ने माना।

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इन रचनाकारों का हुआ सम्मान

समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. पद्मा सिंह, प्रभु त्रिवेदी को विशिष्ट साहित्यिक योगदान सम्मान, डॉ. गरिमा संजय दुबे को विधा आधारित सम्मान, माधुरी व्यास को कृति आधारित सम्मान और हर्षवर्धन प्रकाश को प्रतिभावान युवा रचनाकार सम्मान प्रदान किया गया। इस मौके साहित्य, शिक्षा और पत्रकारिता जगत के अनेक प्रमुख हस्ताक्षरों सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।

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