Dr. Naveen Singh
डॉ. नवीन सिंह

-16 श्रृंगार दुल्हन का रूप के साथ सेहत भी निखारता है।

Health News Today: विश्व संवाद परिषद योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर डॉ. नवीन सिंह ने बताया कि भारतीय परंपरा में महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार (Solah Shringar) का विशेष महत्व माना गया है। (Health News Today) महिलाएं भी अपने सौंदर्य में चार चांद लगाने के लिए विशेष दिनों सोलह श्रृंगार (Solah Shringar) करती हैं। (health tips in hindi) लेकिन क्या आपको मालुम है कि सोलह श्रृंगार केवल रूप ही नहीं निखारता अपितु सेहत भी संवारता है। (Health News Today) इसकी पुष्टि वैज्ञानिकों ने कई शोधों में की है।

दरअसल श्रृंगार (Solah Shringar) के जरिये शरीर के उन केन्द्रों पर दबाव पड़ता है जो एक्यूप्रेशर प्वाइंट (Health News Today) का काम करते हैं और हमें स्वस्थ रखते हैं। इसलिए श्रृंगार (Solah Shringar) को वैज्ञानिक दृष्टि (health tips in hindi) से जोड़ कर देखा जाए तो ये रूप के साथ स्वास्थ्य भी देता है।

माथे की बिंदी

महिलाओं के लिए खासकर शादी-शुदा महिलाओं के लिए बिंदी लगाना काफी जरूरी माना जाता है। (health tips in hindi) बिंदी या कुमकुम माथे के जिस भाग पर लगाई जाती है, वो जगह इंसान का आज्ञाचक्र होता है, जिसका संबंध मन से होती है। इससे कंसन्ट्रेशन पावर बढ़ती है और दिमाग शांत रहता है।

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सिंदूर

सिंदूर सुहाग की निशानी मानी जाती है। माना जाता है कि सिंदूर लगाने से पति की आयु में बढ़ोतरी होती है। महिलाएं सिर के जिस भाग में सिंदूर लगाती हैं वहां मस्तिष्क की महत्वपूर्ण ग्रंथी होती है। जिसे ब्रहमरंध्र कहा जाता है। यह बहुत ही संवेदनशील ग्रंथी है। इस जगह पर सिंदूर लगाने से महिलाओं को मानिसक शक्ति प्राप्त होती है। दरअसल सिंदूर में पारा धातु होता है जो ब्रहमरंध्र के लिए औषधि का काम करता है।

मंगल सूत्र और हार

मंगल सूत्र के काले मोती महिलाओं को बुरी नजर से बचाते हैं। इसके अलावा ये उत्तेजना पैदा करने वाले हार्मोंन्स को सक्रिय बनाते हैं। दरअसल गले में संभोग के लिए उत्तेजना पैदा करने वाले प्रतिबिम्ब केन्द्र होते हैं। जिन पर मोतियों का जब प्रभाव पड़ता है तो उत्तेजना पैदा करने वाले हार्मोंन्स सक्रिय हो जाते हैं।

बाजूबंद

सोने या चांदी के बाजूबंद से बाजुओं में स्थित प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर दबाव बनता है, जिससे महिलाओं का सौन्दर्य एवं यौवन लम्बे समय तक बना रहता है।

कान की बाली

सुंदर दिखने के अलावा कान की बाली एक और काम करती है दरअसल कान के बाहरी भाग में एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है। इस कारण कान में सही भार के कुंडल या बाली पहनने से एक्यूप्रेशर प्वाइंट पर दबाव पड़ता है जिससे किडनी और ब्लेडर स्वस्थ बने रहते हैं।

पायल

पैरों को सुंदर बनाने के अलावा पायल की आवाज घर की नकरात्मक ऊर्जा को भी दूर करती है। पायल पहनने से (खासकर चांदी की पायल) स्त्रियों को स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। दरअसल पायल हमेशा पैरों से रगड़ाती रहती है जिससे पैरों की हड्डियों को चांदी के तत्वों से मजबूती मिलती है।

आयुर्वेद में भी कई दवाओं में इन धातुओं की भस्म का इस्तेमाल किया जाता है। स्वास्थ्य के लिए धातुओं की भस्म से जैसे स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं, ठीक वैसे ही लाभ पायल पहनने से प्राप्त होते हैं। साथ ही इस स्थान पर महिलाओं के मासिक चक्र से जुड़े पॉइंट्स होते है, जो सक्रिय होने से उससे जुड़ी समस्याएं ठीक हो जाती है।

नाक की नथ

नाक की नथ जिस जगह पर पहनी जाती है वो भी एक तरह का एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है जो बच्चै पैदा करने के दर्द को कम करता है।

मेहंदी

किसी भी शुभ काम करने के दौरान महिलाएं मेहंदी जरूर लगाती है। ये हाथों को सुंदर बनाने के साथ ही शरीर को ठंडा रखने का काम करता है। साथ ही ये चर्म रोग और मिर्गी की समस्या भी दूर करता है।
सुहाग की निशानी चूड़ियां महिलाओं के लिए काफी लाभप्रद मानी जाती है।

महिलाएं शारीरिक दृष्टि से पुरुषों की तुलना में अधिक कोमल होती हैं। ऐसे में चूड़ियाँ पहनने से महिलाओं को शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है। दरअसल सोने और चाँदी की चूड़ियाँ जब शरीर के साथ घर्षण करती हैं, तो इनसे शरीर को इन धातुओं के शक्तिशाली तत्व प्राप्त होते हैं, जो महिलाओं को स्वस्थ रखने का काम करते हैं।

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फूलों का गजरा

कमरबंद धारण करने से महलिाओं के हर्निया से सम्बन्धित ग्रंथि केन्द्र पर दबाव बना रहता है जिससे महिलाओं को हर्निया की समस्या नहीं होती है।

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काजल केवल आंखों की सुंदरता ही नहीं बढ़ाता अपितु नकरात्मक शक्तियों से भी दूर रखता है। साथ ही काजल से आंखों में ठंडक बनी रहती है और आंखों से संबंधित कई रोगों से भी बचाता है। बिछिया पैर की जिस उंगुली में पहनी जाती है उस उंगुली की साइटिक नर्व की एक नस को बिछिया दबाती है जिस वजह से आस-पास की दूसरी नसों में रक्त का प्रवाह तेज होता है और यूटेरस, ब्लैडर व आंतों तक रक्त का प्रवाह ठीक होता है। गर्भाशय तक सही मात्रा में रक्तल पहुंचता रहता है। यह बिछिया अपने प्रभाव से धीरे-धीरे महिलाओं के तनाव को कम करती है।

मांग-टीका

सोने या चांदी के मांगटीका को स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयुक्त माना जाता है। इससे किसी भी प्रकार की बेचैनी नहीं होती है और मन भी शान्त रहता है। उंगलियों में आलस को दूर करने के लिए प्रतिबिम्ब केन्द्र होते हैं। इस कारण से माना जाता है कि अंगूठी पहनने से महलिाएं आलसी नहीं रहती हैं।

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लाल कपड़ों को सुहाग की निशानी और शादी का विशेष परिधान माना गया है। इन वस्त्रों में ओढ़नी, चोली और घाघरा शामिल होते हैं। ये सभी परिधान सूती या रेशम से बने होते हैं। जिससे स्त्री की काया स्वस्थ्य और सुन्दर बनी रहती है।

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