Health News: नवजात के जीवन के पहले एक हजार स्वर्णिम दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। (The Health News) मां का पहला दूध बच्चे के जीवन में पोषण का स्तर सुनिश्चित करता है (essentials for newborn)। मां का दूध अमृत के समान कहा गया है। (The Health News) स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ शुचिता गंगवार ने बताया कि बच्चे के जन्म के एक घंटे के अंदर माँ का दूध जरूर पिलाना चाहिए (essentials for newborn)। अगले छह माह तक सिर्फ मां का दूध पिलाना चाहिए।

पानी और शहद का सेवन बिलकुल नहीं कराना चाहिए (The Health News)। उन्होंने बताया कि यह पीला गाढ़ा दूध (कोलोस्ट्रम) पौष्टिक होता है (essentials for newborn)। इसमें विटामिन ए, प्रोटीन व एंटीबॉडी प्रतिरोधक क्षमता भरपूर होती है। इस दूध से दस्त, पीलिया और संक्रमण की गंभीरता कम हो जाती है (The Health News)। यह दूध शिशु की आंतों की सफाई करने में सक्षम होता है। पोषण माह चल रहा है। सुपोषण मां के साथ बच्चे के लिए भी जरूरी है।

उन्होंने बताया कि बच्चे के अलावा मां को भी दूध पिलाने से बहुत फायदा होता है। एक घंटे के अंदर दूध पिलाने से मां के अंदर ऐसे हार्मोन स्रावित होते हैं जिससे उसका रक्तस्राव कम होने में सहायता मिलती है और जल्दी गर्भधारण नहीं होता है। लगातार दूध पिलाने से मां को स्तन और गर्भाशय का कैंसर होने का खतरा भी कम होता है।
उन्होंने ने बताया कि मां का दूध पहले दिन से ही बच्चे की भूख के अनुसार ही निकलता और बढ़ता रहता है। अगर बच्चा सही प्रकार से दूध पी रहा है तो यह नहीं सोचना चाहिए कि वह भूखा रह जाएगा।

इसे भी पढ़ें: डायबिटीज में दवा से ज्यादा कारगर होते हैं ये आहार

उन्होंने बताया कि मां के दूध में पोषक तत्व न ज्यादा होता है न कम। दूध में एनर्जी, प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन ए, सी, भरपूर मात्रा में होता है। अगर सही तरीके से बच्चे को मां का दूध पिलाया जाए तो दो साल तक बच्चों में मृत्यु होने की आशंका कम हो जाती है। गाय, बकरी और भैंस के दूध में प्रोटीन बहुत होता है जो बच्चे की किडनी पर बुरा प्रभाव डालता है, लेकिन मां के दूध में बच्चे की जरूरत के अनुसार सही मात्रा में प्रोटीन होता है जो बच्चा आसानी से पचा लेता है।

डॉ. शुचिता गंगवार के अनुसार बच्चे को हमेशा सही पोजीशन में रखकर दूध पिलाना चाहिए ताकि वह सही प्रकार से दूध पी सके। मां का पहले निकलने वाला दूध पतला होता है। बाद में निकलने वाला दूध गाढ़ा होता है। पहले निकलने वाली पतले दूध से बच्चे की प्यास भी बुझ जाती है। बच्चे को पूरा पोषण मिल सके, इसलिए पहले एक स्तन से पूरा दूध पिला लेना चाहिए।

उसके बाद दूसरे स्तन से दूध पिलाना चाहिए। दूध तब तक पिलाना चाहिए जब तक बच्चा खुद न छोड़ दे। बच्चे को दिन में उसकी ज़रूरत के अनुसार दूध पिलाना चाहिए। अगर बच्चा 6 से 7 बार पेशाब कर रहा है और हर माह उसका आधा किलो वजन बढ़ता है तो इसका मतलब वह स्वस्थ है।

इसे भी पढ़ें: पत्ता गोभी में पाए जाने वाले सूक्ष्म कीड़े, कई बीमारी का कारण

इसे भी पढ़ें: नियमित SEX के हैं जबरदस्त फायदे

Spread the news