Gorakhpur: पूर्वांचल हिन्दी मंच, गोरखपुर के तत्वावधान में रविवार को दिग्विजयनाथ पीजी कॉलेज, गोरखपुर के सभागार में साहित्यभूषण डॉ. आद्या प्रसाद द्विवेदी की निबन्ध कृति ‘गुलर के फूल’ का समारोह पूर्वक लोकार्पण सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में विद्यमान पद्मभूषण प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने डा. आद्या प्रसाद द्विवेदी को सम्पन्न निबन्ध लेखक बतलाते हुए ‘गुलर के फूल को इस सदी का अप्रमेय निबन्ध संग्रह कहा।

अध्यक्षीय उद्बोधन में कवि अनन्त मिश्र ने गुलर के फूल’ को भारत की जातीय चेतना का प्रगल्म वैचारिक प्रस्थान कहकर कृति में संगृहीत सभी निबन्धों की श्रेष्ठता का रेखांकन किया। मुख्य वक्ता रामदरश राय संकलित अठारह निबन्धों के ‘गूलर का स्तबक’ कहते हुए उनकी सुन्दरता-पता रंजकता के आलोक में निबन्ध लेखक डॉ. आद्या प्रसाद को नवसदी का श्रेष्ठ वरिष्ठ ललित निबन्धकार बताते हुए उन्हें आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, पं. विद्यानिवास मिश्र और कुबेरनाथ राय की ललित दीर्घा में बैठा हुआ देखा। प्रो. अनिलकुमार राय ने डॉ. द्विवेदी को एक सलीकेदार सावधान निबन्धकार का, तो प्रो. अरविन्द त्रिपाठी ने हिन्दी निबन्ध के तम का प्रामाणिक शिनाख्त करने वाला सुचिन्तित कलमकार कहा।

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डॉ. वेद प्रकाश पाण्डेय ने निबन्ध प्रणेता को विचारों का सजग प्रहरी कहा, तो प्रो. उमाकान्त राय ने अंग्रेजी के लाई बेकन और हिन्दी के बालकृष्ण की तस्वीर उनमें देखी। इस अवसर पर कलाप्रहरी प्राचार्य डॉ. शाकिर अली खाँ ने ये सादगी की बहुत है जरूरत श्रृंगार मत करना’ जैसी ग़ज़ल को तरन्नुम में गाकर मंच और साहित्यकार-सभा का स्वागत किया। आरम्भतः सुन्दर स्वरबद्ध वाणी वन्दना प्रस्तुत की ‘योगी’ के सम्पादक आचार्य डॉ. फूलचन्द प्रसाद गुप्त ने लोकार्पण समारोह का विदग्धतापूर्ण संचालन किया।

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बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. मुन्ना तिवारी ने आभार ज्ञापन किया। पूर्वाचन हिन्दी मंच, गोरखपुर के साहित्य निदेशक डॉ. संजय त्रिपाठी ने पुस्तक में साक्षी साहित्यकार के रूप में उपस्थित थे प्रजभूषण राय, त्रियुगीनारायण शाही, डॉ. विनयमोहन त्रिपाठी, महेश नारायण त्रिगुणायत, डॉ. अंगद कुमार सिंह, डॉ. अम राय, डॉ. प्रभा सिंह, डॉ. चारुशीला सिंह, राजेश द्विवेदी, निशिकान्त पाण्डेय, इन्द्रबहादुर सिंह, डॉ. सूर्यकान्त त्रिपाठी, मिथिलेश तिवारी, रीता श्रीवास्तव, डॉ. आरती सिंह, कमि सुभाष यादव, रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी और नगर के गणमान्य नागरिक कवि-साहित्यकार और शिक्षक उपस्थित रहे। वर्षों बाद गोरखपुर महानगर में किसी निबन्ध कृति का लोकार्पण एक नवघटना के रूप में साक्षीकृत हुआ है। गद्यकारों निबन्धकारों को सुखद परितोष की अनुभूति हुई।

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