Rishi Sunak: इजराइल और हमास के बीच जारी युद्ध (Israel-Hamas war) का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। दुनिया में हमास के समर्थन और विरोध का क्रम जारी है। मुस्लिम देश जहां हमास आतंकियों का खुलकर समर्थन कर रहे हैं, वहीं अन्य देश के लोग हमास लड़ाकों के कृत्य से आहत हैं। इजराइल जहां इसे मानवता के खिलाफ मानकर युद्ध लड़ रहा है, वहीं हमास में मारे जा रहे निर्दोशों को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। हमास आतंकियों की तरफ से 7 अक्टूबर को इजराइल में खेले गए खूनी खेल ने जहां मानवता को शर्मसार किया है, वहीं हमास समर्थक फिलिस्तीन की आड़ में इजराइल को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। फिलिस्तीन और इजराइल के पक्ष-विपक्ष में दुनिया के देश बंटे नजर आ रहे हैं। देश की सरकारें जहां इजराइल का समर्थन कर रहे हैं, वहीं विपक्ष व मुस्लिम संगठन फिलिस्तीन के बहाने हमास आतंकियों के समर्थन में प्रदर्शन। फिलिस्तीन समर्थकों पर की गई टिप्पणी पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने बड़ा एक्शन लेते हुए भारतीय मूल की महिला मंत्री को बर्खास्त कर दिया है। ब्रिटिश सरकार में आंतरिक मंत्री सुएला ब्रेवरमैन (Suella Braverman sacked) को बर्खास्त करने के साथ ही प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले अपने कैबिनेट में फेरबदल कर दिया है।

गौरतलब है कि ब्रिटिश की आंतरिक मंत्री सुएल ब्रेवरमैन (Suella Braverman) को लेकर देश में नाराजगी थी। उन्हें एक दक्षिणपंथी नेता के तौर पर देखा जाता है। पिछले हफ्ते फिलिस्तीन समर्थक के प्रदर्शनों को कथित तौर पर न संभाल पाने के लिए सुएल ब्रेवरमैन (Suella Braverman) ने पुलिस की आलोचना कर विरोधियों के निशाने पर आ गई थीं। उन्होंने फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों को “हेट मार्च” बताया था। हालांकि उन्हें कैबिनेट से क्यों बाहर किया गया है, इसका कारण अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। वहीं सुएल ब्रैवरमैन (Suella Braverman sacked) की जगह किसको मंत्री बनाया जाएगा, इसकी कयासबाजी तेज हो गई है। सुएल ब्रैवरमैन को करीब एक साल पहले प्रधानमंत्री बनने के बाद ऋषि सुनक ने अपनी सरकार में आंतरिक मंत्री बनाया था।

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बता दें कि सुएल ब्रैवरमैन ब्रिटेन की एक विवादित नेता मानी जाती हैं। वह दक्षिणपंथी विचार की मानी जाती हैं, जो ब्रिटेन को आइसोलेट करने में विश्वास रखती हैं। वह शराणार्थियों को देश से बाहर करने की नीति वाली है। यही वजह है कि उनकी नीतियों का अक्सर विरोध होता रहता है। गत दिनों फिलिस्तीन के समर्थन में देश में किए गए प्रदर्शन पर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाकर वह विरोधियों के निशाने पर आ गई थीं। उन्होंने ब्रिटिश पुलिस की न सिर्फ आलोचना की थी, बल्कि पुलिस पर पसंदीदा भूमिका निभाने का आरोप भी लगाया था। फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन को पुलिस समर्थन जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि पुलिस ने बड़े पैमाने पर “फिलिस्तीनी समर्थक भीड़” को नजरअंदाज किया।

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