Pratapgarh News: जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के तत्वाधान में शहर स्थित प्रताप सदन कार्यालय पर लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती व पार्टी के मुखिया कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का 53 वा जन्मदिवस पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने सामूहिक रूप से हर्षोल्लास के साथ मनाया।

इस मौके पर उपस्थित जनों ने केक काटकर एक दूसरे को खिलाते हुए जनसेवा व पार्टी को कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के नेतृत्व में मजबूत और गतिशील बनाने का संकल्प लिया। इस मौके पर मधुकर द्वारा मधुर संगीत प्रस्तुत की गई जिससे लोग भावविभोर हो गए।

इस मौके पर अनिल कुमार सिंह उर्फ लाल साहब, रामअचल बर्मा, मुन्ना सुजाखर, राजकुमार सिंह, विवेक त्रिपाठी, सुभद्रा, वंदना उपाध्याय, रीगन श्रीवास्तव, प्रवीण चतुर्वेदी, मुन्ना सिंह, गोल्डी सिंह,एमएलसी मीडिया प्रभारी मुक्तेश्वर नाथ उर्फ मुक्कू ओझा, विनय सिंह, प्रशांत सिंह सहित आदि पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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Pratapgarh News: शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए सर्वश्रेष्ठ यूपी रत्न से सम्मानित हुए जय प्रकाश

Pratapgarh News: अपने विभागीय दायित्व को समय से पूरा करने के साथ समाज के वंचितों एवं दिव्यागों की शिक्षा एवं उनकी बेहतरी के लिए सदैव अग्रणी भूमिका निभा कर उन्हें समाज के मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास करने वाले बेल्हा के जमीं के लाल पीसीएस अधिकारी जय प्रकाश शुक्ल को सूबे की राजधानी लखनऊ में सर्वश्रेष्ठ यूपी रत्न अवार्ड से नवाजा गया। यूपी डेवलपमेंट फाऊंडेशन की ओर से शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य एवं बृजेश पाठक के हाथों सम्मानित किया गया।

गरीब एवं दिव्यांग प्रतियोगी छात्रों की मदद को जीवन का मूलमंत्र लेकर चलने वाले लोकसेवक जयप्रकाश शुक्ल जब किसी बेसहारा को देखते हैं तो वह अपनी सीमा से परे जाकर उसकी सहायता करने की सोचते हैं। गरीब प्रतियोगी हो अथवा समाज की मुख्य धारा से अलग-थलग कोई व्यक्ति उसकी सीमा के बाहर जाकर सहायता करने का जज्बा उन्हें दूसरों से अलग करता है। सरकारी सेवक होने के साथ ही वह सजग सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं।

गरीब, बेसहारा छात्रों को कॉपी, किताब, फीस, मेज-कुर्सी आदि देकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए प्रेरित करते हैं। साक्षात्कार में शामिल हो रहे प्रतियोगियों के लिए वह मार्गदर्शक तथा अभिभावक बनकर मदद करते हैं। बीते 15 वर्षों में उनके सहयोग से दिव्यांग,असहाय,गरीब युवक युवतियों को वैवाहिक बन्धन में जोड़ चुके हैं।

दिव्यांग जनों को धूमधाम से शादी के पवित्र बंधन में भी सहयोग करते आ रहे हैं। विवाह के दौरान वह नव दंपति को घर गृहस्ती की हर वस्तुएं उपलब्ध कराते हैं,जिससे नवदम्पति का परिवारिक जीवन निर्वाह अच्छे से हो सकें। अब तक इनके और उनके सहयोगियों के द्वारा 350 से ऊपर जोड़ों को वैवाहिक बंधन में जोड़ा जा सका है। दूसरी तरफ महिलाओं को स्वावलंबी बनने के लिए सिलाई मशीन व सामग्री भी उपलब्ध कराते रहते हैं। पढ़ाई के समय से ही मदद एवं सेवा भाव होने के कारण प्राकृतिक आपदा के समय चाहे बाढ़ से पीड़ित हो ,सुनामी में तबाही हो या कहीं आग लग जाए हमेशा अपने साथियों संग आगे बढ़ कर जयप्रकाश मदद करते रहे। सिविल सर्विसेज तैयारी के समय से ही गांधी अकादमी संस्थान के माध्यम से कई हजार छात्र छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा प्रदान मुहैया कराने में अहम भूमिका निभा चुके हैं। सबसे बड़ी बात है कि उन्होंने इन सभी कार्यों के लिए कभी सरकारी मदद नहीं ली।

बता दें कि पीसीएस जय प्रकाश शुक्ल का जन्म उत्तर प्रदेश के ऐसी जमीं पर हुआ जहां से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने पदयात्रा के माध्यम से अपना राजनीतिक कॅरियर शुरू किया और यह वही जमीं है जो स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में किसानों की शहादत की याद दिलाता है। यही उर्वरा जमीं पट्टी तहसील के छोटे से गांव में किसान परिवार में हुआ। आज अनगिनत घरों में शिक्षा की रोशनी फैलाने वाले जय प्रकाश शुक्ल अपने कठिन परिश्रम व संघर्षों के बदौलत पीसीएस में कामयाबी हासिल कर सरकारी सेवा में आए।

ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करते हुए प्रयागराज विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई के बाद से पीसीएस परीक्षा की तैयारी शुरू किया। इस दौरान सिविल सेवा में असफलता मिलने के बाद भी श्री शुक्ल ने हताश नहीं हुए और अपना कठिन परिश्रम और संघर्ष जारी रखा और इस दौरान अपने अनुभव से अनेक लोगों की राह के अंधेरे को दूर करने के लिए एक कोचिंग संस्थान में शिक्षण कार्य शुरू किया। वर्षों तक तमाम विद्यार्थियों को उनकी मंजिल की राह दिखाने में सहायक रहे। आखिरकार कठिन परिश्रम और संघर्ष के बाद सिविल सेवा में कामयाबी हासिल कर ही लिया। सहायक आयुक्त (जीएसटी) के पद पर कार्य करते हुए उनके द्वारा, अपने प्रारंभिक जीवन की चुनौतियों से मिली हुई सीख और संस्कार के प्रभाव में,वह अंधेरे में पल बढ़ रहे बच्चों के घर में शिक्षा का दीया जलाना नहीं भूलते हैं।

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कई विद्यार्थियों को शैक्षिक और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने वाले जय प्रकाश शुक्ल इसे अपना मिशन बना चुके हैं। इतना ही नहीं अद्भुत सरलता और सादगी के साथ प्रचार से कोसों दूर रहते हुए श्री शुक्ल का यह मिशन गतिशील है। श्री शुक्ल को मिले श्रेष्ठ यूपी रत्न अवार्ड से समाज में वंचित पीड़ित की आवाज बनने के लिए लोगों को प्रेरणा मिलेगी। अवार्ड मिलने की खबर जब बेल्हा पहुंची तो लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई और बधाइयां देना शुरू कर दिया।

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