बेतिया: पुलिस के कंधे पर वैसे आम आदमी को सुरक्षित महसूस कराने की जिम्मेदारी होती है, लेकिन कुछ पुलिसकर्मी खुद सुरक्षा के लिए खतरा बन जाते हैं। वर्दी की हनक में चूर पुलिसकर्मी वह अपराध कर बैठते हैं, जिसे सामान्य भाषा में हत्या कहा जाता है। चूंकि इन्हें पता होता है कि इनकी करतूतों की जांच कोई वर्दीधारी ही करेगा, जो इन्हें बचाने का पूरा प्रयास भी करेगा और यही होता चला भी आ रहा है। इसी तरह का मामला बिहार के पश्चिमी चंपारण जिला मुख्यालय बेतिया से सामने आया है। जहां आर्यानगर गांव से डीजे के साथ गिरफ्तार युवक की बलथर थाना में पुलिस कस्टडी में मौत हो गई है। आरोप है कि पुलिस की पिटाई से डीजे वाले ड्राइवर की मौत हुई है। ड्राइवर की मौत की जानकारी होते ही लोगों का आक्रोश पुलिसवालों पर फूट पड़ा। आक्रोशित लोगों की भीड़ ने थाने को आग लगा दी। पुलिसवालों को अपनी जान बचाने के लिए फायरिंग करनी पड़ी।

घटना के बाद से क्षेत्र में स्थिति काफी तनावपूर्ण बन गई है। आक्रोशित ग्रामीणों के सामने पुरषोत्तमपुर और गोपालपुर की पुलिस को जान बचाकर भागना पड़ा है। जानकारी के मुताबिक होली के दिन डीजे बजाने पर बेतिया के बलथर थाने की पुलिस ने डीजे की गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर अनिरुद्ध को हिरासत में ले लिया था। यहां उसकी पुलिसवालों ने जमकर पिटाई की, जिससे उसकी जान चली गई। अनिरुद्ध के मरने की खबर आते ही ग्रामीणों का गुस्सा पुलिस पर फूट पड़ा।

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आक्रोशित ग्रामीणों ने बेतिया-मैनांटांड पथ को जाम कर प्रदर्शन किया। इस दौरान मृतक के परिजनों और ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अनिरुद्ध की मौत पुलिस की पिटाई से हुई है। होली के दिन डीजे बचाने को लेकर पुलिस ने यह कार्रवाई की है। पुलिस ने डीजे वाली गाड़ी चलाने वाले युवक को इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई। प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों का गुस्सा इतना भड़क गया कि भीड़ ने थाने पर हमला बोला दिया। पत्थरबाजी और तोड़फोड़ शुरू हो गई। पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए फायरिंग शुरू कर दी, जिस पर लोगों ने थाने को आग के हवाले कर दिया।

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