प्रकाश सिंह

Mainpuri By-Election: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी, रामपुर और खतौली में उप चुनाव (Mainpuri By-Election) का प्रचार चल रहा है। इन तीनों क्षेत्रों में 5 दिसंबर को मतदान होने हैं। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा मैनपुरी लोकसभा सीट को लेकर है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि मैनपुरी को सपा का गढ़ माना जाता है। ऐसे में सपा के सामने गढ़ बचाने के साथ-साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की पत्नी डिंपल यादव (Dimple Yadav) की लाज बचाने की चुनौती है। वहीं रामपुर भी सपा का गढ़ रहा है, लेकिन परिवारिक विरासत बचाने के चक्कर में सैफई कुनबा मैनपुरी तक सीमित होकर रह गया है, जिसे भाजपा की सियासी चाल का हिस्सा भी कहा जा सकता है। क्योंकि एक सीट बचाने के चक्कर में सपा दो सीट गंवाने के फेर में उलझ गई है।

अकेले पड़े आजम खान (Azam Khan)

रामपुर में सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान (Azam Khan) अकेले पार्टी की कमान संभाले हुए हैं। लेकिन समय का चक्र उन पर इस कदर चला है कि वह चुनाव लड़ना तो दूर मतदान करने लायक भी नहीं बचे हैं। गौरतलब है कि रामपुर में सपा का वजूद आजम खान (Azam Khan) की वजह से है। लेकिन यहां कभी जिस आजम खान का सिक्का चलता था वह इस समय केवल सियासी चेहरा बन कर रह गए हैं। वहीं सपा के दिग्गज नेताओं की अनुपस्थिति आजम खान (Azam Khan) के मंच पर पार्टी समर्थकों को अखर रही है। समर्थकों में इस बात को लेकर निराशा है कि जिस समय उन्हें अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की सबसे ज्यादा जरूरत है, उस वक्त वह खुद को अकेला पा रहे हैं।

मैनपुरी जीतकर भी हारेंगे अखिलेश (Akhilesh Yadav)

सियासी जानकारों की मानें तो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भले ही मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव जीत लें। लेकिन सपा को मैनपुरी और खतौली सीट का मलाल हमेशा रहेगी। बता दें कि उत्तर प्रदेश में मैनपुरी, खतौली और रामपुर सीट पर हो रहे उप चुनाव हो रहे हैं। इन सबके बीच मैनपुरी का लोकसभा उपचुनाव (Mainpuri By-Election) बेहद रोचक हो गया है। यहां अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के सामने जहां गढ़ बचाने की चुनौती है, वहीं के बीजेपी के सामने भगवा लहराने की। सपा के गढ़ आजमगढ़ में कमल खिलाने के बाद बीजेपी की नजर मैनपुरी पर है। मैनपुरी (Mainpuri By-Election) जीतने के लिए बीजेपी जहां पूरा जोर लगा रही है, वहीं गढ़ बचाने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पत्नी डिंपल यादव (Dimple Yadav) के साथ मैदान में हैं।

सपा ने मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव (Mainpuri By-Election) के लिए जहां अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की पत्नी डिंपल को प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं बीजेपी ने कभी सपाई रहे रघुराज सिंह शाक्य (Raghuraj Singh Shakya) को मैदान में उतारा है।

मोदी लहर में कायम रहा सपा का कब्जा

गौरतलब है कि मैनपुरी सीट (Mainpuri By-Election) पर यादव और शाक्य समाज का अच्छा वर्चस्व है। इस सीट को सपा का सबसे मजबूत गढ़ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वर्ष 2014 में मोदी नाम की चली सुनामी में मैनपुरी में साइकिल की चाल में कोई परिवर्तन नहीं आया। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के सामने प्रत्याशी तो उतारा, लेकिन पार्टी का कोई बड़ा नेता प्रचार करने नहीं आया। माना जा रहा था कि यह मुलायम सिंह (Mulayam Singh Yadav) का आखिरी चुनाव है। मुलायम सिंह यादव की जहां बंपर वोटों से जीत हुई, वहीं बीजेपी का वोट प्रतिशत भी काफी बढ़ा। कुल मिलाकार बीजेपी मैनपुरी हारकर भी सफल रही।

अखिलेश (Akhilesh Yadav) ने कुशल राजनीतिज्ञ का दिया परिचय

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कुशल राजनीतिज्ञ का परिचय देते हुए चाचा शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) को स्टार प्रचारक बनाकर बीजेपी के दांव पर पानी फेर दिया है। वहीं शिवपाल यादव (Shivpal Singh Yadav) ने भी साफ कर दिया है कि वह पुत्रवधु के साथ हैं। उधर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पत्नी डिंपल के साथ मैनपुरी के घर-घर जाकर जनता से सहानुभूति मांग रहे हैं। सपा से नाराज चल रहे लोगों में नेताजी के निधन के चलते एकबार फिर पार्टी के प्रति हमदर्दी दिखाई दे रही है। ऐसे में मैनपुरी उप चुनाव (Mainpuri By-Election) में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव की जीत स्पष्ट दिखाई दे रही है।

गौरतलब है कि मैनपुरी लोकसभा सीट (Mainpuri By-Election) पर समय से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का कब्जा रहा है। करीब 17 वर्षों से यहां सपा काबिज है। वर्ष 2014 की मोदी लहर में जहां सारे जातीय समीकरण ध्वस्त हो गए थे, वहीं मैनपुरी सीट (पर बीजेपी हवा हो गई थी। 2019 के चुनाव में मैनपुरी सीट से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) इस सीट से चुनाव लड़ा, बीजेपी ने उनके खिलाफ प्रत्याशी तो उतारा, लेकिन यह उनका आखिरी चुनाव माना जा रहा था, इसलिए बीजेपी के किसी बड़े नेता ने यहां प्रचार नहीं किया।

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1996 से सपा का है कब्जा

गौरतलब है कि मैनपुरी सीट (Mainpuri by-election) पर यादव परिवार का कई दशकों से कब्जा रहा है। यही वजह थी कि इस सीट को लेकर चर्चांए भी तेज थी कि मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की राजनीतिक विरासत को कौन संभालेगा? मैनपुरी की सीट पर वर्ष 1996 से सपा का कब्जा है। यहां से पांच बार मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) और दो बार बलराम सिंह यादव चुनाव जीत चुके हैं। वहीं इस बार उप चुनाव जीतना सपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल गया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) इसी को ध्यान में रख कर राजनीतिक समीकरण साधने में जुटे हैं।

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