
Kahani: एक छोटा सा शहर था। उसी शहर में गणेश मिठाईवाले की एक बड़ी प्रसिद्ध दुकान थी। वह बहुत ही स्वादिष्ट बाल मिठाई बनाया करता था। धीरे-धीरे गणेश मिठाईवाले की कीर्ति दूर-दूर तक फैल गई। अधिकतर लोग गणेश की दुकान से मिठाइयां खरीदने लगे। आमदनी बढ़ते ही मिठाई वाले का दिमाग सातवें आसमान में पहुंच गया। ज्यादा मुनाफा पाने के चक्कर में अब वह नापतोल में भी गड़बड़ करने लगा।
एक दिन एक चतुर ग्राहक उसकी दुकान पर आया। उसने मिठाई वाले से मिठाई मांगीं। गणेश मिठाई तोलते वक्त उसमें भी हाथ की सफाई दिखाने लगा। लेकिन ग्राहक चतुर था। उसने तुरंत बोला “जरा ठीक से तोलो भाई। मिठाई की तोल में गड़बड़ी दिखाई देती है। गणेश बोला, सेठजी चिंता की क्या बात है। अगर तोल में थोड़ा गड़बड़ भी हो गई तो कोई बात नहीं, आपको थोड़ा वजन कम उठाना पड़ेगा। जिससे आपको तकलीफ भी कम होगी। गणेश की बात सुनकर ग्राहक ने उसकी अक्ल ठिकाने लगाने का निश्चय किया। उसने गणेश से मिठाई का डिब्बा ले लिया। लेकिन रुपए देते वक्त उसने दाम से कुछ कम रुपए गणेश के हाथ में थमा दिए।
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गणेश ने उन रुपयों को गिना तो उसने पाया कि रुपए मिठाई के दाम से कुछ कम है। उसने ग्राहक की तरफ देखा। इस पर ग्राहक ने गणेश से कहा- हां, मैंने जानबूझकर तुमको रुपए कुछ कम दिए हैं ताकि तुम्हें रुपए गिनने में कम परेशानी हो। जिस तरह तुमने मेरा भला सोचा कि मुझे मिठाई के डिब्बे का वजन उठाने में कम तकलीफ हो। उसी तरह मैंने भी तुम्हारी तकलीफ को कुछ कम करने का सोचा। इसीलिए पैसे कम दिए।
यह कह कर ग्राहक जोर-जोर से हंसने लगा। उस वक्त तक वहां पर कई लोग जमा हो गए। तब ग्राहक ने लोगों को सारी घटना सुनाई। घटना सुनते ही वहां पर उपस्थित सभी लोग जोर-जोर से हंसने लगे। लेकिन मिठाई वाले को तो काटो तो खून नहीं। उसे अपने ही चालाकी भारी पड़ गई। लेकिन ग्राहक वहां से मुस्कुराता हुआ चला गया। इसके बाद कभी भी गणेश ने मिठाई की तोल में गड़बड़ ना करने का फैसला कर लिया।
शिक्षा:- लालच का फल हमेशा ही बुरा होता है। इसीलिए हमें सदैव लालच से बचना चाहिए।
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