गौरव तिवारी

Health Tips: पत्ता गोभी में मिलने वाला वो कीड़ा, जो अक्सर ब्रेन तक भी पहुंच जाता है। वैसे तो दुनियाभर में पत्ता गोभी की खपत लगातार बढ़ रही है, लेकिन भारत में बहुत से लोगों ने इस वेजिटेबल से दूरी बना ली है। क्योंकि इसमें अक्सर एक ऐसा सूक्ष्म कीड़ा पाया जाता है, जो शरीर में कहीं भी खाने के साथ पहुंच सकता है और तब ये गंभीर तौर पर बीमार कर देता है। अगर दिमाग तक पहुंचे तो जीवन को खतरे में डाल देता है। आपने भी सुना होगा, पत्ता गोभी में कीड़ा होता है और वो दिमाग में घुस जाता है। इसी डर से हजारों या उससे भी ज्यादा लोग पत्ता गोभी खाना छोड़ चुके हैं। वो कीड़ा क्या है और दिमाग में कैसे घुस जाता है, जानते हैं शुरुआत से। पत्ता गोभी को इंग्लिश में CABBAGE और फूल गोभी को cauliflower कहते हैं। लेकिन पत्ता गोभी और फूल गोभी एक ही प्रजाति की सब्जियां हैं।पत्ता गोभी में निकलने वाले कीड़े को टेपवर्म (tapeworm) यानी फीताकृमि कहां जाता है।

नग्न आंखों से नहीं दिखाई देते हैं कीड़े

कीड़ा टेपवर्म आंतों में जाने के बाद ब्लड फ्लो के साथ शरीर के अन्य हिस्सों और मस्तिष्क में पहुंच सकता है। ये बहुत छोटा होता है। हमें नग्न आंखों से दिखाई नहीं देता। ये सब्जी उबालने और अच्छी तरह पकाने से मर सकता है। ये कीड़ा जानवरों के मल में पाया जाता है। टेपवर्म बारिश के पानी या और किसी वजह से जमीन में पहुंचता है और कच्ची सब्जियों के जरिए फिर हम तक पहुंचता है।

कई बीमारियों का बनता है कारण

पेट में पहुंचने के बाद ये कीड़ा सबसे पहले आंतों, फिर ब्लड फ्लो के साथ नसों के जरिए दिमाग तक पहुंचता है। इसका लार्वा दिमाग को गंभीर चोट पहुंचा देता है। टेपवर्म से होने वाला इन्फेक्शन टैनिएसिस (taeniasis) कहलाता है। शरीर में जाने के बाद, ये कीड़ा अंडे देता है। जिससे शरीर के अंदर जख्म बनने लगते हैं। इस कीड़ें की तीन प्रजातियां (1) टीनिया सेगीनाटा, (2) टीनिया सोलिअम और (3) टीनिया एशियाटिका होती हैं। ये लीवर में पहुंचकर सिस्ट बनाता है, जिससे पस पड़ जाता है। ये आंख में भी आ सकता है।

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ये कीड़े हमारे पेट के आहार को ही अपना भोजन बनाते हैं। जिस व्यक्ति के दिमाग में पहुंचते हैं उसे दौरे पड़ने लगते हैं। शुरुआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। लेकिन सिर दर्द, थकान, विटामिन्स की कमी होना जैसे लक्षण दिखाई देते है। दिमाग में अंडों का प्रेशर इस कदर बढ़ता है कि दिमाग काम करना बंद कर देता है। कहा जाता है कि दिमाग में कोई बाहरी चीज आ जाए तो उससे दिमाग का अंदरूनी संतुलन बिगड़ जाता है। एक टेपवर्म की लंबाई 3.5 से 25 मीटर तक हो सकती है। इसकी उम्र 30 साल तक होती है।इस कीड़े के इलाज के तौर पर वे दवाएं दी जाती हैं। जिससे ये मर जाए या फिर सर्जरी भी की जा सकती है।

कीड़े से बचने के लिए डॉक्टरों की है यह सलाह

कीड़े से बचने के लिए डॉक्टर्स का कहना है कि जिन चीज़ों में ये कीड़ा पाया जाता है। वे अधपकी खाने से टेपवर्म पेट में पहुंचते हैं। ऐसी सब्जियों को अच्छे से धुल कर पका कर खाना चाहिए, ऐसी सब्जियों को कच्चा सेवन ना करें। भारत में टेपवर्म का संक्रमण सामान्य है। यहां करीब 12 लाख लोग न्यूरोसिस्टिसेरसोसिस से पीड़ित हैं, ये मिर्गी के दौरों की खास वजहों में से एक है।

कीड़े की 5 हजार से ज्यादा है प्रजातियां

इस कीड़े की 5 हजार से ज्यादा प्रजातियां बताई जाती हैं। भारत में टेपवर्म से होने वाली परेशानी 20-25 साल पहले सामने आई। तब देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग सिर में तेज दर्द की शिकायत के साथ हॉस्पिटल पहुंचे और उन्हें मिर्गी की तरह दौरे पड़ रहे थे। अब बहुत सी जगहों पर पत्ता गोभी की जगह बजाय लेट्यूस लीव्स इस्तेमाल की जाती है। इस कीड़े का लार्वा पालक, मछली, पोर्क या बीफ में भी पाया जाता है। इन चीज़ों को भी अच्छी तरह पकाकर खाना चाहिए। एशियाई देशों की तुलना में यूरोपीय देशों में इसका खतरा काफी कम देखा जाता है।

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