गोरखपुर: गोरखपुर पुलिस (Gorakhpur Police) अपनी कार्य प्रणाली की चलते अक्सर चर्चा में बनी रहती है। हालांकि पुलिस व्यवस्था को सुधारने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से काफी प्रयास किए गए हैं। लेकिन गोरखपुर के राजघाट पुलिस (Rajghat Police Station) के रवैए को देखकर यह कहा जा सकता है कि यहां पुलिस व्यवस्था पर भारी है। मुख्यमंत्री जनता दर्शन में विवेचना से जुड़ी अधिकतर शिकायतें मिलने से जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाराजगी जता चुके हैं। वहीं राजघाट पुलिस (Rajghat Police Station) इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंड पीठ की नोटिस के बावजूद भी हत्या के मामले में विवेचना रिपोर्ट नहीं लगा रही है। इस संदर्भ में राजघाट थानाध्यक्ष से बात करने पर उन्होंने बताया कि मामला काफी गंभीर है, आरोपियों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि हाई कोर्ट का जब विवेचना पूरा करने का आदेश है तो जो सच है उसे आप प्रस्तुत क्यों नहीं कर रहे हैं, तो उन्होंने आवाज न मिल पाने का बहाना करते हुए फोन काट दिया।

वहीं विवेचना के लिए सालभर से ज्यादा का वक्त बीच चुका है। इस दौरान यहा 3 से ज्यादा थानाध्यक्षों का ट्रांसफर भी हो चुका है। बावजूद इसके विवेचना रिपोर्ट न प्रस्तुत किए जाने से राजघाट पुलिस की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं। पीड़ित पक्ष का अरोप है कि राजघाट पुलिस आरोपियों को बचाने में लगी हुई है। कोर्ट की नाराजगी के बावजूद भी विवेचना रिपोर्ट नहीं लगाई जा रही है, जिसके चलते मुकदमे की आगे की कार्रवाई प्रभावित हो रही है।

गौरतलब है कि अंबेडकरनगर जनपद के अलीगंज थानाक्षेत्र के पश्चिम टांडा निवासी सुरेंद्र कुमार पांडेय (24) जो कि कपड़े का व्यवसाय करता था। इस सिलसिले में वह खलीलाबाद बरदहिया बाजार आता-जाता रहता था। अगस्त, 2019 में वह कपड़ा लेकर बरदहिया बाजार आया हुआ था, लेकिन वह घर नहीं लौटा। काफी इंतजार के बाद जब वह घर वापस नहीं आया तो परिजनों ने उसकी खोजबीन शुरू की और इसकी सूचना अलीगंज पुलिस को भी दिया। दो-दिन बीत जाने के बाद अलीगंज थाने की पुलिस ने इस मामले में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू की। इसी बीच मोहल्ले के एक युवक ने सुरेंद्र के परिजनों को बताया कि उसने राजघाट थानाक्षेत्र के पास से ढेलिए पर सुरेंद्र कुमार की लाश को ले जाते हुए कुछ लोगों को देखा है। यह युवक यहां पल्लवदारी का काम करता है।

इसके बाद सुरेंद्र कुमार के परिजनों की आशंका खत्म हो गई और वह लाश का पता लगाने में जुट गए। लेकिन दुर्भाग्य से घरवालों को सुरेंद्र कुमार की लाश भी नहीं मिल पाई। वहीं परिजनों को हत्या का मुकदमा दर्ज कराने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी और कोर्ट के आदेश पर 2021 में टांडा के अलीगंज थाने में दीपक कुमार गौड़ उर्फ गोलू और विक्की गौड़ पर मुकदमा दर्ज किया जा सका।

थाना राजघाट को मिली विवेचना

घटना चूंकि गोरखपुर के राजघाट थानाक्षेत्र का था इसलिए सीजेएम कोर्ट के आदेश पर मामले की विवेचना एसपी अंबेडकर नगर के माध्यम से अलीगंज थाने से ट्रांसफर होकर राजघाट ट्रांसपोर्ट नगर पहुंच गया। मामला 16 मार्च, 2021 को विवेचना के लिए गोरखपुर एसएसपी को ट्रांसफर हुआ था। थाने से सूचना मिलने पर जून महीने में मृतक सुरेंद्र कुमार पांडेय का छोटा भाई रविंद्र कुमार और चाचा परशुराम पांडेय राजघाट थाना पहुंचकर थानाध्यक्ष विनय कुमार सरोज के समक्ष गवाही बयान दर्ज कराया। इसके बाद राजघाट पुलिस ने आरोपियों का बयान भी दर्ज किया। लेकिन बयान दर्ज होने के दो माह बीत जाने के बावजूद भी हत्या जैसे संगीन मामले में विवेचना पूरी नहीं की गई।

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इस संदर्भ में थानाध्यक्ष से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने कहा कि मामला काफी संगीन है, आरोपी स्पष्ट नहीं हो पा रहे हैं। उनसे जब हाई कोर्ट के आदेश का जिक्र किया गया तो आवाज न मिल पाने की बात कहते हुए उन्होंने फोन काट दिया। इसके बाद उन्होंने फोन उठाना बंद कर दिया। इस संदर्भ में एसएसपी गोरखपुर से बात की गई, तो उन्होंने पीड़ित पक्ष को बुलाने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया। वहीं पीड़ित परिवार को राजघाट पुलिस की इस हरकत की वजह से इंसाफ मिलने की उम्मीद धुंधली नजर आने लगी है।

एसएसपी गोरखपुर को नहीं पता सीएम योगी का निर्देश

बता दें कि मुख्यमंत्री जनता दर्शन कार्यक्रम में अधिकतर शिकायतें विवेचना से जुड़ी हुई आ रही हैं। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाराजगी जताते हुए पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया है कि विवेचना में लापरवाह थानाध्यक्षों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इस संदर्भ में गोरखपुर के एसएसपी से बात करने पर बताया कि उन्हें इस तरह के किसी निर्देश की जानकारी नहीं है। ऐसा कुछ निर्देश होगा तो उस पर अमल किया जाएगा। बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह निर्देश अपने पहले कार्यकाल के दौरान दिया था। ऐसे में सवाल उठता है कि पुलिस के उच्च अधिकारी जब मुख्यमंत्री के निर्देशों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं तो थानाध्यक्षों की मनमानी पर कैसे अंकुश लगेगा।

आरोपियों ने कब्जा रखा है घर

मृतक के भाई रविंद्र कुमार और चाचा परशुराम पांडेय ने बताया कि आरोपियों की आपराधिक प्रवृत्ति की जानकारी उन लोगों को नहीं थी। इसके चलते उन्होंने आरोपी दीपक कुमार गौड़ उर्फ गोलू और विक्की गौड़ को रहने के लिए अपना घर दे दिया था। जिसपर बाद में इन लोगों ने कब्जा जमा लिया और खाली करने के लिए जब कहा गया तो धमकाते हुए घर से निकलने के लिए मना कर दिया। इसका मुकदमा चल रहा है। इसी मुकदमे के बाद से गोलू और विक्की लगातार उनके परिवार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।

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