बरेली: आला हज़रत इमाम अहमद रजा खान फाजिल बरेलवी जो पूरी दुनिया में रहने वाले सुन्नी सूफी खानकाही विचार धारा रखने वाले मुसलमानों के भारत में इस समय सब से बड़े धर्मगुरु हैं। जिनकी दरगाह आला हजरत भारत के उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में है। उन्होंने अपने धार्मिक विचारों से पूरी दुनिया खास कर भारत में अमन-चैन और शान्ति की स्थापना में बहुत अहम किरदार अदा किया है। कुछ लोग बाहरी नारों और खूंखार विचारों से प्रभावित होकर यह समझ बैठे हैं कि हमारे पैगंबर की शान में गुस्ताखी करने वाले को मारना, उसका सर तन से जुदा करना या उसकी हत्या करना यह एक इस्लामिक, धार्मिक और सवाब का कार्य है। इससे जन्नत मिलेगी तो आप को हम बता दें कि आला हज़रत इमाम अहमद रजा बरेलवी साहब के फतवे के हिसाब से किसी मुजरिम का भी कत्ल करना और कानुन हाथ मे लेकर किसी आम नागरिक द्वारा किसी की हत्या करना खुद जुर्म है।

ऐसा व्यक्ति इस्लाम धर्म की रोशनी में मुजरिम और गुनाहगार है, जिसे न्याय पालिका सजा देगी। आला हज़रत यह भी स्पष्ट किया कि हमारे पैगंबर की शान मे गुस्ताखी की सजा उन देशों में कि जहां इस्लामिक कानून हैं, वहां मौत की सजा है। जैसे हमारे देश भारत में बहुत से जुर्म में मौत की सजा का प्रावधान है। परंतु यह सजा कोई आम आदमी या नागरिक ना देगा बल्कि न्याय पालिका, कोर्ट कचहरी देंगी।

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यदि किसी इस्लामिक देश कि जहां ईशनिंदा की सजा मौत है। वहां भी कोई आम व्यक्ति किसी को मौत के घाट उतार दे तो वह व्यक्ति कातिल और गुनाहगार माना जाएगा और उसे हुकुमत व वहां का कोर्ट सजा देगा। आला हज़रत ने यह भी बताया कि हमारा काम और जिम्मेदारी लोकतान्त्रिक देशों में केवल इतनी है कि हम मुजरिम के जुर्म से घृणा करें, उस के साथ रहने से आम लोगों को बचाये, कुख्यात मुजरिम के जुर्म से लोग दूर रखने का प्रयास करे और न्यायपालिका और न्याय प्रणाली द्वारा उसे सजा दिलाने का प्रयास करें।

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