लखनऊ: पूर्व उपमुख्यमंत्री डाॅ. दिनेश शर्मा ने कहा कि मुद्रा के संचालन में बैक की महत्वपूर्ण भूमिका  होती है।  बैंक कर्मियों से राष्ट्रहित में कार्य करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि बैंक की क्रियाविधि से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। जीवन में मुद्रा का संचालन संतुलित हो इसके लिए रिजर्व बैंक नीति तय करता है।  इसके अनुसार ही बैंकों का संचालन होता है तथा  इससे देश में आर्थिक संतुलन स्थापित होता है। उन्होंने कहा कि  प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी  के देश की कमान संभालने के बाद देश का व्यापार संतुलन सकारात्मक बना है। कोरोना की महामारी के बाद  आज जहां  दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्था कराह रही है वहीं  कोरोना की महामारी के बाद आज  भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। देश की जीडीपी  में सुधार आ रहा है। इसका  एक कारण देश के लोगों की  जीवन शैली में बचत की प्रवृत्ति का होना है। राष्ट्र को मजबूत करने का लक्ष्य लेकर सभी  एकजुट होकर काम करना होगा।

भारतीय मजदूर संघ की स्थापना दिवस के अवसर पर होटल जेबीआर में आयोजित आर्यवर्त बैंक वर्कर्स तथा आर्यावर्त बैंक आफीसर्स आर्गनाइजेशन के महाधिवेशन को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ  राष्ट्रप्रेम से ओत प्रोत संगठन है। यह ऐसा संगठन है, जो विग्रह नहीं जुड़ाव चाहता है। यह टकराव नहीं ठहराव चाहता है। राष्ट्रीय एकता, देश धर्म का पालन, सबके बीच में समन्वय इसकी विचारधारा के मूल में है। यह  भारत की रक्षा करने का भाव मन में जाग्रत करने के उद्देश्य को लेकर चल रहा है।

Dr. Dinesh Sharma

डाॅ. शर्मा ने कहा कि आज विशेष दिवस है क्योंकि आज मजदूर संघ का स्थापना दिवस  होने के साथ ही  बाल गंगाधर तिलक जी व चन्देशखर आजाद जी की जयंती भी है।  भारतीय मजदूर संघ  देश का सबसे बडा श्रमिक संगठन है जिसकी स्थापना 1955 में हुई थी। यह देश का एकमात्र  संगठन है जो किसी राजनैतिक दल से सम्बद्ध नहीं है। इस संगठन की अपनी विचारधारा है जो केवल मजदूरों के लिए कार्य कर रहा है। स्वदेशी जागरण मंच और भारतीय किसान संघ की स्थापना करने वाले  दत्तोपंत ठेंगडी जी ने ही  मजदूर संघ  की स्थापना की थी।  इस संगठन के संस्थापक की सेवा का अवसर मुझे भी प्राप्त हुआ है। राष्ट्र पुरुषों की बाते जीवन में बडी प्रेरणा का काम करती हैं।

उन्होंने कहा कि 1917 में हुई वोल्सेविक क्रान्ति में दुनियाभर  के मजदूरों से एक हो जाने की अपील  एक नारे के जरिए की गई थी।  कहा गया था कि अगर मजदूर एक हो गए तो कोई उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता है। इसके विपरीत भारतीय मजदूर संघ मजदूरों की एकता की बात इसलिए करता है क्योकि दुनिया को एक करना है। इसके जरिए वह राष्ट्रीय चेतना की अलख जगाता है।  उन्होंने कहा कि मजदूरों के अन्य संगठन कहते हैं कि चाहे जो मजबूरी हो मांग हमारी पूरी हो जबकि मजदूर  संघ कहता है कि देश के हित में करेंगे काम और काम का लेंगे पूरा दाम। यह राष्ट्रप्रेम से ओत प्रोत संगठन है जो विग्रह नहीं जुडाव चाहता है। यह टकराव नहीं ठहराव चाहता है। यह  लोगों में समाज  के निर्माण की चेतना को जाग्रत करने के लिए कार्यरत संगठन है।

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डाॅ. शर्मा ने कहा कि दीनदयाल जी कहते थे कि भारत राष्ट्र का सिद्धान्त नून तेल लकड़ी तक सीमित नहीं है। जीव जन्तु तथा प्रकृति के साथ तालमेल स्थापित करने के साथ ही मानव के कल्याण से अर्थ की व्यवस्था का संचालन सुनिश्चत करना ही एकात्म मानववाद है। उन्होंने कहा कि  भारत में एक ही संगठन में कार्य करने वालों के बीच पारिवारिक रिश्ते बन जाते हैं जबकि पाश्चात्य संस्कृति में बाजार की व्यवस्था  के संबन्ध होते हैं जहां पर सब कुछ बिकाऊ है। इसमें  जो शक्तिशाली  है वहीं जीवित रहेगा का भाव है।

इसके विपरीत भारत की संस्कृति में समन्वय की भावना है। सभी लोग एक दूसरे के लिए हैं। उनका कहना था कि  अगर जीवन में रस चाहिए तो एक दूसरे का पूरक बनकर कार्य करना होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पानी की बूंद गर्म तवे पर नष्ट हो जाती है जबकि कमल के फूल पर मोती सी प्रतीत होती है और सीप में वहीं बूंद मोती बन जाती है।  अतः जैसी संगति होगी वैसा ही रूप होता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रभक्त संगठन के साथ जुडने वाले मोती की तरह चमकते रहते हैं।

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