सुमित मेहता

Lok Sabha Elections 2024: पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी अपनी सधी चाल से हर राज्य में विपक्षी दलों की नींव हिला कर रख दिया है। अब जब लोकसभा चुनाव सिर पर है, तो भारतीय जनता पार्टी राममंदिर उद्घाटन से पहले रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को भव्य व दिव्य बनाकर देश-दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है। वहीं पीएम मोदी की विजय रथ को रोकने के लिए इक्कट्ठा हुए विपक्षी दल पेशोपेस में हैं कि बीजेपी के हिंदुत्व का काट कैसे निकाला जाए। हालांकि इससे पहले भी कांग्रेस समेत कुछ दलों ने खुद को हिंदुत्ववादी बताने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन अपनी तुष्टिकरण की राजनीति के चलते बीजेपी के प्रखर हिंदुत्ववाद के सामने वह टिक नहीं सके।

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के नाम पर बीजेपी ने हिंदुत्ववाद की जो अलख जलाई है, उसका असर साफ दिखने लगा है। भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देश अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को उल्लास के साथ मनाने में जुट गए हैं। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी ने विपक्ष को एक ऐसे चक्रव्यूह में फंसा दिया है, जिससे विपक्ष का बाहर निकल पाना फिलहाल मुश्किल लग रहा है। 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत भी रहेंगे।

अयोध्या में दिन रात भव्य और दिव्य कार्यक्रम की तैयारी चल रही है। पूरी दुनिया की नजर 22 जनवरी को अयोध्या पर होंगी। माना जा रहा है कि, चुनाव से ठीक पहले राम मंदिर का कार्ड खेलकर बीजेपी ने विपक्ष को चित कर दिया है। 22 जनवरी के बाद देश में राम नाम की ऐसी लहर उठ सकती है, जिसका सामना विपक्ष नहीं कर पाएगा और बीजेपी रिकॉर्ड तोड़ सीट लोकसभा चुनाव में हासिल करेगी। वहीं राम मंदिर को लेकर विपक्षी नेता जितने ज्यादा विवादित बयान देंगे, उसका उतना ज्यादा फ़ायदा बीजेपी को चुनाव में मिलेगा। ऐसे में विपक्ष के पास बीजेपी को रोकने के लिए एक ही रास्ता है और वो है एकजुटता।

अगर विपक्ष के सभी दल मिलकर आगामी चुनाव में बीजेपी को अपनी तैयार पिच पर खेलने के लिए मजबूर करता है, तो सत्ता दल चुनाव के दौरान लड़खड़ा सकता है। वहीं अगर विपक्षी नेता धर्म और मंदिर को लेकर विवादित बयान देते हैं और बीजेपी की तैयार पिच पर खेलने की कोशिश करते हैं, तो निश्चित तौर पर 2024 ही नहीं अगले कई चुनाव तक बीजेपी को सत्ता से विपक्ष हिला नहीं पाएगा। 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराममंदिर का प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होने के बाद निश्चित तौर पर बीजेपी के वोट बैंक में भी बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है।

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2019 के लोकसभा चुनाव में 49.98% वोट बीजेपी को उत्तर प्रदेश में मिला था, जो 2024 में बढ़कर 55 से 60 प्रतिशत भी जा सकता है। यही वजह है कि, चुनाव से पहले हुए सर्वे में बीजेपी को प्रदेश की 80 में 72+ सीट दी गई हैं। यूपी में सबसे बड़ा संकट बसपा के लिए खड़ा हो जाएगा, अगर मायावती इंडिया गठबंधन में शामिल होकर चुनाव नहीं लड़तीं हैं तो। 2019 में यूपी में बसपा ने 19.43% पाकर 10 सीटों पर जीत दर्ज की। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि बसपा और सपा ने महागठबंधन कर चुनाव लड़ा था, जिसका सबसे बड़ा फायदा मायावती को मिला, क्योंकि 2014 में तो बसपा शून्य पर थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा को प्रदेश में 12.88 प्रतिशत वोट मिले, लेकिन जीत सिर्फ एक सीट पर मिली और कहा जाता है कि, वो सीट उम्मीदवार ने अपने दम पर जीती है। प्रदेश में समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर की पार्टी है, जिसे 2022 में 32.06 % वोट मिले, जो 2017 के मुकाबले 10.24% ज्यादा हैं।

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