UP News: सपा सरकार में मंत्री रहे गायंत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati) के मामले में नया मोड़ आता नजर आ रहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने गायत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati) के अपील पर मामले की पीड़िता को नोटिस प्राप्त कराने के सम्बंध में स्पष्ट रिपोर्ट न दाखिल करने पर सख्त तेवर दिखाते हुए, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ से स्पष्टीकरण तलब किया है। बता दें कि गायत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati) दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। न्यायालय ने गायत्री प्रजापति मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 नवम्बर को नियत की है।

न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति रेणु अग्रवाल की खंडपीठ ने यह आदेश गायत्री प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati) की अपील पर पारित किया। गौरतलब है कि 18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य छह अभियुक्तों के खिलाफ गौतमपल्ली थाना में गैंगरेप, जानमाल की धमकी व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इन आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश पीड़िता की याचिका पर दिया था। पीड़िता ने गायत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati) व उनके साथियों पर सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाते हुए अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था।

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ज्ञात हो कि 18 जुलाई, 2017 को पॉक्सो की विशेष अदालत ने इस मामले में गायत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati) समेत सभी सात अभियुक्तों विकास, आशीष, अशोक, अमरेंद्र, चंद्रपाल व रुपेश्वर के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 डी, 354 ए(1), 509, 504 व 506 में आरोप तय किया था। इसके अलावा गायत्री, विकास, आशीष व अशोक के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 5जी/6 के तहत भी आरोप तय किया था। 12 नवम्बर, 2021 को सत्र अदालत ने गायत्री, आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को उम्रकैद की सजा और बाकी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। राज्य सरकार ने इस मामले में अपील दाखिल करके अन्य आरोपियों को बरी किए जाने को चुनौती दी है।

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