UP News: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार (Yogi Adityanath) के आने के बाद एनकाउंटर (fake encounter) के मामले काफी बढ़ गए हैं। अपराधियों के रसूख को तोड़ने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने पुलिस को खुली छूट दे रखी है। नतीजा, उत्तर प्रदेश पुलिस ने अब तक कई अपराधियों को ढेर कर चुकी है। वहीं इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिला है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने लखनऊ के गोमतीनगर में एप्पल कर्मचारी को फर्जी मुठभेड़ (fake encounter) दिखाकर मार दिया, तो वहीं गोरखपुर में कानपुर के व्यवसाई की भी हत्या कर दी। बीते दिनों प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के बाद से यूपी पुलिस एकबार फिर एक्शन में आ गई है। गत एक सप्ताह में पुलिस ने दो आरोपियों को एनकाउंटर में मार गिराया है। पुलिस ने 6 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी विजय चौधरी उर्फ उस्मान को एनकाउंटर में ढेर कर दिया।

उस्मान के एनकाउंटर के बाद उसकी पत्नी ने पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर (fake encounter) करने का आरोप लगाया है। उस्मान की पत्नी सुहानी का आरोप है कि पुलिस एनकाउंटर (fake encounter) से पहले उस्मान को घर से उठाकर ले गई और उनका मोबाइल जब्त कर लिया। इसके बाद पुलिस ने उसकी हत्या कर एनकाउंटर दिखा दिया। वहीं सपा के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव ने भी एनकाउंट पर सवाल उठाते हुए यूपी पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगा चुके हैं। उन्होंने पुलिस पर असली दोषियों को छिपाने का भी आरोप लगाया है। साथ ही अतीक अहमद के बेटे की फर्जी एनकाउंटर में मार गिराने की आशंका भी जाहिर की है। उधर बसपा प्रमुख मायावती ने भी यूपी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। मायावती ने सवाल किया है कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार अपनी विफलताओं पर पर्दा डालने के लिए दूसरा विकास दुबे कांड करेगी?

गौरतलब है कि पुलिस ने 3 मार्च को सीजेएम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अतीक अहमद के दोनों नाबालिग बेटे को लेकर बड़ा बयान दिया था। पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि अतीक के दोनों बेटे बाल सुधार गृह में हैं। जबकि अब जिला प्रोबेशन अधिकारी ने अतीक अहमद के दोनों बेटे के बारे में जानकारी होने से इनकार कर दिया है। मामले की जानकारी होने पर कोर्ट ने यूपी पुलिस और जिला प्रोबेशन अधिकारी को नोटिस देकर तलब किया है।

क्या है फेक एनकाउंटर

किसी भी अपराधी का एनकाउंटर उस समय होता है, जब वह पुलिस वालों पर हमला कर दे और पुलिस के जवाबी कार्रवाई में उसकी मौत हो जाए। पुलिस की पूरी कोशिश रहती है कि वह अपराधी को बिना नुकसान पहुंचाए पकड़ ले। हालांकि ऐसा होता नहीं, शायद यही वजह है कि अक्सर पुलिस एनकाउंटर सवालों के घेरे में बना रहता है। जानकारी के मुताबिक भारत में पुलिसिया एनकाउंटर 20वीं शताब्दी के मध्य में शुरू हुआ था। उस दौरान समुद्री इलाके में गैंगस्टर से तंग आकर पुलिस अपराधियों को पकड़ने की बजाय उनका एनकाउंटर कर देते थे।

इस बारे में दिल्ली पुलिस में पूर्व एसीपी वेद भूषण बताते हैं कि भारत में 99 फीसदी एनकाउंटर फेक ही होता है। पुलिस जब किसी अपराधी को लेकर राजनीतिक दबाव में होती है, तो आरोपी का एनकाउंटर कर दिया जाता है।

फेक एनकाउंटर की वजह

राजनीतिक दबाव में एनकाउंटर: जब कोई बड़ा अपराध होता है और उसकी वजह से सरकार घिर जाती है। ऐसे मामले में कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगते हैं और पुलिस बैकफुट पर आ जाती है, तो पुलिस पर राजनीतिक दबाव काफी बढ़ जाता है। पुलिस अपने ऊपर बने दबाव को कम करने के लिए तब शॉटकट रास्ता अपनाती है और अपराधी का एनकाउंटर कर देती है। इसके पीछे एक वजह यह भी होती है कि कोर्ट में मामला लंबा खिचेगा, जिससे लोगों में गुस्सा अधिक पनपेगा। ऐसे में पुलिस के लिए फेक एनकाउंटर सबसे मुफीद रास्ता होता है।

सांगठनिक अपराध को खत्म करने के लिए एनकाउंटर: कई बार अपराधी से पुलिस काफी त्रस्त हो जाती है। पुलिस अपराधी को पकड़कर कोर्ट में पेश करती है और फिर जमानत पर छूट जाता है। अपराधी जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद फिर अपराध करने लगता है। ऐसे में पुलिस सांगठनिक अपराध पर रोकने के लिए अपराधी का एनकाउंटर कर देती है। इसके पीछे पुलिस का बार-बार होने वाली परेशानियों को समाप्त करने का मकसद होता है।

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एनकाउंटर में छत्तीसगढ़ और यूपी टॉप पर

फेक एनकाउंटर पर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। इसको लेकर सरकार को नोटिस भी जारी होती है, लेकिन इस पर रोक नहीं लगता। केंद्र का डेटा भी इस बात को साबित करता है। फरवरी, 2022 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनकाउंटर का डेटा संसद को बताया था।

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के अनुसार, वर्ष 2017 से लेकर 2022 तक भारत में 655 एनकाउंटर हुए है। उन्होंने ने बताया कि सबसे अधिक एनकाउंटर छत्तीसगढ़ में किए गए है। मानवाधिकार आयोग ने इन सभी एनकाउंटर पर पुलिस को नोटिस जारी किया था। छत्तीसगढ़ पुलिस ने एनकाउंटर में 191 लोगों को मार गिराया। वहीं यूपी में 117 और असम में 50 अपराधी एनकाउंटर में ढेर किए गए। इस पर मानवाधिकार आयोग ने पूरे 18 वर्ष का डेटा जारी कर दिया है।

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