Prayagraj: उत्तर प्रदेश में माफियाओं और अपराधियों पर कार्रवाई करने की बात करने वाली योगी सरकार को प्रयागराज में हुए शूटआउट ने कड़ी चुनौती दी है। प्रयागराज उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal murder case) को जिस तरह अंजाम दिया गया, वह यूपी की हाईटेक पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। हाईटेक तकनीक से लैस SOG, STF और यूपी पुलिस को जेल के अंदर बैठकर उमेश पाल की हत्या (Umesh Pal murder case) की रणनीति बनाने वाले अतीक व उसके गुर्गों के बारे में भनक तक नहीं लगी। वहीं घटना के सोलह दिन बीत जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश पुलिस अतीक अहमद के गुर्गों को पकड़ पाने में नाकाम रही है। ऐसी स्थिति तब है जब उत्तर प्रदेश के डीजीपी देवेंद्र सिंह चौहान, एसटीएफ के मुखिया अमिताभ यश, प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा, एसटीएफ के अतिरिक्त डीआईजी अनंत देव तिवारी, पुलिस टीम, सर्विलांस टीम, स्वाट टीम के साथ-साथ इंटेलिजेंस विंग लगातार अतीक अहमद के फरार गुर्गों की तलाश कर रही है। इसके बावजूद भी 16 दिन बीत जाने के बाद घटना में शामिल 2 गुर्गों के एनकाउंटर के अतिरिक्त अभी तक पुलिस खाली हाथ हैं।

इस घटना की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दिनदहाड़े जिस तरह से इस शूटआउट को अंजाम दिया गया, उससे पूरा प्रदेश दहल गया। विपक्ष के तीखे सवालों के जवाब में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में माफिया को मिट्टी में मिलाने की बात कही थी। इसके बावजूद भी यूपी पुलिस की टीम अभी खाली हाथ है। इससे समझा जा सकता है कि इन माफियाओं की जड़े पूरे सिस्टम में कितनी गहरी हैं। इसका एक कारण यह भी है कि अपराधियों की जड़े पुलिस में काफी मजबूत हैं। अपराधी तक पुलिस के पहुंचने से पहले खाकी की आड़ में बैठे जयचंद इसकी सूचना अपराधियों को पहले दे देते हैं। यही कारण है कि पुलिस के पहुंचने से पहले अपराधी मौके से फरार हो जा रहे हैं। मजे की बात यह है कि अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस मुखबिर रखती हैं, वहीं माफिया व बड़े अपराधी पुलिस वालों को ही अपना मुखबिर बना चुके हैं। हालांकि इस मामले में 20,000 से अधिक नंबर सर्विलांस पर लगाए गए हैं पर पुलिस को अभी तक इस मामले में सफलता मिलती नहीं दिख रही है।

ददुआ मामले में भी यही हुआ था

बता दें कि यह कोई पहला मामला नहीं है जब अपराधियों तक पुलिसकर्मियों की सूचनाएं पहले पहुंच रही हैं। इससे पूर्व भी ददुआ के खिलाफ ऑपरेशन चलाने वाले तत्कालीन एसपी शचि घिल्डियाल ने जब ऑपरेशन ददुआ चलाया था तो देर रात पुलिस अधिकारियों के साथ होने वाली क्राइम मीटिंग की जानकारी पुलिस विभाग के जयचंद ददुआ तक पहुंचा देते थे। यही कारण है कि तत्कालीन एसएसपी ददुआ का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाई और इस बात की जानकारी उन्हें तब हो पाई, जब बांदा से उनका तबादला हो गया।

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लगातार सामने आ रहा लोकल इंटेलिजेंस का फेलियर

उत्तर प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण संस्थाओं में गिनी जाने वाली लोकल इंटेलिजेंस का फेलियर लगातार सामने आ रहा है। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में चाहे अब्बास अंसारी और उसकी पत्नी निखत अंसारी का 3 महीने से मिलन प्रकरण हो या प्रयागराज में उमेश पाल शूटआउट का मामला। बरेली जेल से लगातार अतीक अहमद के भाई अशरफ के साले सद्दाम का अपराधिक घटनाओं में संलिप्त होना या आजमगढ़ जिले के मुबारकपुर में आईएसआईएस के लिए काम करने वाला आतंकी सलाउद्दीन का प्रकरण हो। किसी भी मामले में लोकल इंटेलिजेंस के इनपुट सामने नहीं। इससे समझा जा सकता है कि लोकल इंटेलिजेंस जमीनी स्तर पर किस तरह से फेल साबित हो रही हैं। लोकल इंटेलिजेंस की विफलता के लिए हाल ही में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजमगढ़ दौरे पर पहुंचे, तो उन्होंने प्रयागराज की घटना को पूरी तरह से इंटेलिजेंस का फेलियर बता दिया।

उमेश पाल हत्याकांड के 16 दिन बीत चुके हैं। लेकिन, अभी तक वारदात को अंजाम देने वाले 5 शूटरों तक पुलिस पहुंच नहीं पाई है। SOG, STF और यूपी पुलिस की 22 टीमें इन्हें पकड़ने के लिए 2 देश, 8 राज्य, 13 जिलों में 500 जगह छापेमारी की। लेकिन, हत्याकांड को लीड करने वाले अतीक अहमद का बेटा असद, मुस्लिम गुड्डू, गुलाम, अरमान और साबिर का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। हां, जानकारी इतनी मिली के पुलिस के पहुंचने से पहले अपराधी ठिकाना बदल दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर देश-विदेश में भी अतीक के गुर्गों की तलाश जारी है, बावजूद इसके पुलिस के पास कोई सटीक सूचना नहीं है।

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जानें अब तक क्या-क्या कार्रवाई हुई

उमेश पाल हत्याकांड में अभी तक दो एनकाउंटर, 3 मददगारों के घर जमींदोज किए जा चुके हैं। वारदात के समय क्रेटा कार चलाकर असद को घटनास्थल तक लाने वाले अरबाज, पहली गोली चलाने वाले विजय चौधरी उर्फ उस्मान पुलिस की मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। अतीक के परिवार की मदद करने वाले 3 आरोपियों और करीबियों के घर बुलडोजर चला। अतीक अहमद के बेटे असद के साथ शूटर अरमान, मोहम्मद गुलाम, बमबाज गुड्डू मुस्लिम और मोहम्मद साबिर पर पुलिस ने ढाई-ढाई लाख का इनाम घोषित कर रखा है।

नेपाल और थाईलैंड में भी STF की छापेमारी जारी

पुलिस सूत्रों के अनुसार, अतीक के 5 शूटरों को पकड़ने के लिए अभी तक स्पेशल टास्क फोर्स (STF) नेपाल और थाईलैंड में छापेमारी कर चुकी है। STF की टीमें पश्चिम बंगाल, दिल्ली, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, गुजरात और पंजाब, महाराष्ट्र में छापे मार चुकी हैं। लगातार संभावित ठिकानों पर छापेमारी जारी है।

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कब क्या हुआ?

24 फरवरी: धूमनगंज के जयंतीपुर में घर के सामने ही राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की गोली मारकर दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी।
25 फरवरी: अतीक, अशरफ, शाइस्ता, अतीक के बेटों, गुलाम, साबिर समेत 9 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया। घटना में इस्तेमाल कार चकिया से बरामद हुई थी।
26 फरवरी : गोरखपुर से सदाकात खान पकड़ा गया। इसके मुस्लिम बोर्डिंग हॉस्टल के कमरे में ही हत्याकांड की रणनीति तैयार की गई थी।
27 फरवरी: हत्याकांड में शामिल शूटर जिस क्रेटा कार में बैठकर घटनास्थल तक गए थे, उसे चलाने वाले अरबाज को पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया।
28 फरवरी: ईट ऑन के मालिक नफीस अहमद को पुलिस ने पकड़ा। बताया जा रहा है कि हत्या में शामिल क्रेटा नफीस की ही थी।
01 मार्च: अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन चकिया के जिस घर में रहती थीं, पुलिस ने उसे ध्वस्त करा दिया। यह घर जफर अहमद का था।
02 मार्च: हत्याकांड में घायल उमेश पाल के गनर राघवेंद्र की SGPGI में मौत हो गई। 60 फीट रोड पर सफदर के मकान पर बुलडोजर चला। वह अतीक का करीबी था।
03 मार्च: प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने पुरामुफ्ती के असरौली में मासूकउद्दीन के घर को जमींदोज किया। इसे अतीक का फाइनेंसर बताया जा रहा है।
05 मार्च: यूपी पुलिस ने उमेश पाल हत्याकांड के पांच आरोपियों पर इनाम राशि पचास हजार से बढ़ाकर ढाई-ढाई लाख कर दी थी। इनमें अतीक का बेटा असद, गुडूड मुस्लिम, गुलाम, साबिर और अरमान शामिल हैं।
06 मार्च: उमेश पाल हत्याकांड में पहली गोली मारने के आरोपी विजय चौधरी उर्फ उस्मान को पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर किया।

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