मिर्जापुर: काशी और प्रयागराज के मध्य विंध्य पहाड़ियों की गोद में बसे मिर्जापुर जिला विंध्यधाम के नाम से भी मशहूर है। आजादी के दीवानों से लेकर अंग्रेजी हुकुमत की क्रूरता के इतिहास को मिर्जापुर अपने आप में समेटे हुए है। इस जिले को प्रकृति ने अपने खूबसूरती से भी नवाजा है। मिर्जापुर शुरू से ही सूबे की राजनीति का भी बड़ा केंद्र रहा है। यह जिला उत्तर प्रदेश को मुख्यमंत्री भी दे चुका है। यहां के कांग्रेस पार्टी के नेता स्व. पंडित कमलापति त्रिपाठी 4 अप्रैल, 1971 से 12 जून, 1973 तक सूबे के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। साजवादी पार्टी की तरफ से की तरफ से स्व. फूलन देवी और स्व. ददुआ के भाई बालकुमार पटेल सांसद भी रह चुकें हैं। मिर्जापुर में कांग्रेस के बाद समाजवादी पार्टी का राज रहा। इसीलिए इसे सपा का गढ़ भी कहा जाता था। लेकिन वर्ष 2017 में मोदी लहर के चलते मिर्जापुर से सपा का सूपड़ा ही साफ हो गया। मिर्जापुर जनपद में 5 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें, नगर विधानसभा, मझवां, चुनार, मड़िहान और छानबे विधानसभा शामिल हैं।

395 छानबे विधानसभा सीट (Chhanbe Assembly seat) 

मिर्जापुर जिले की छानबे विधानसभा (Chhanbe seat) शुरू से ही सुरक्षित सीट रही है। बीच में कुछ वर्षों के लिए यह समान्य सीट हो गई थी, लेकिन बाद में अनुसूचित जाति जनजाति के लिए फिर से सुरक्षित कर दी गई। इस विधानसभा का अधिकांश हिस्सा पिछड़ा है, यहां आदिवासी, कोल की संख्या अधिक है। यह सीट 1952 से 1962 तक सुरक्षित घोषित थी, जिसे 1962 से 1974 तक समान्य घोषित कर दिया गया। लेकिन 1974 के बाद से यह सीट अब तक सुरक्षित ही है। पिछड़ों की बाहुलता के चलते इस सीट की राजनीति दलित वोट बैंक पर निर्भर करती है।

इस सीट को सवर्ण और पिछड़े मतदाता भी प्रभावित करते हैं। वर्ष 2012 के चुनाव में सपा से भाई लाल कोल ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। इसके पहले वर्ष 2007 में बसपा से सूर्यभान, 2002 में पकौड़ी कोल यहां से विधायक चुने गए थे। वर्ष 2017 में यह सीट बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपनादल (एस) के खाते में गई थी। अपनादल (एस) ने पकौड़ी कोल के बेटे राहुल कोल को यहां से प्रत्याशी बनया था। राहुल कोल विधायक चुन गए। बीजेपी समर्थित अपना दल ने इसबार भी राहुल प्रकाश कोल को प्रत्याशी बनाया है, जबकि सपा कीर्ति, बसपा ने धनेश्वर गौतम, कांग्रेस ने भगवती प्रसाद चौधरी और आम आदमी पार्टी ने मुन्ना लाल निर्मल को मैदान में उतारा है।

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396 मिर्जापुर नगर विधानसभा (Mirzapur Nagar Assembly seat) 

मिर्जापुर शहर और ग्रामीण इलाकों को मिला कर बना मिर्जापुर नगर विधानसभा सीट (Mirzapur Nagar seat) राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के लिए हमेशा चुनौती पूर्ण रही है। विंध्य पहाड़ियों की गोद में बसा मिर्जापुर जिला विंध्यधाम के नाम से भी मशहूर है। इसके साथ ही प्रकृति ने इस जिले को अपने सौंदर्य से भी नवाजा है। इस सीट पर शुरू से ही जन संघ व बीजेपी का दबदबा रहा है। अभी तक इस सीट पर बसपा को कभी जीत नहीं मिली है। बीजेपी ने इसबार भी यहां से रत्नाकर मिश्र का प्रत्याशी बनाया है, जबकि सपा ने कैलाश चौरसिया को मैदान में उतारा है। बसपा से राजेश कुमार पांडेय, कांग्रेस से भगवान दत्त उर्फ राजन पाठक, आम आदमी पार्टी से सुरेश सिंह और एमआईएमआई से बदरुद्दीन हाशमी मैदान में हैं।

सियासी इतिहास

2002 से 2012 तक सपा के कैलाश चौरसिया लगातार यहां से तीन बार विधायक चुने गए।
2017 में भाजपा के रत्नाकर मिश्र विधायक चुने गए।

जातिगत आंकड़े (अनुमानित)

वैश्य 1 लाख 40 हजार
मुस्लिम 40 हजार
दलित 40 हजार
ब्राह्मण 30 हजार
यादव 25 हजार
क्षत्रिय 15 हजार
मल्लाह बिंद 15 हजार
कायस्थ 10 हजार
मौर्या 10 हजार और पटेल 10 हजार

मतदाता

कुल मतदाताओं की संख्या– 3 लाख 35 हजार 790
महिला वोटर- 1 लाख 88 हजार, 664
पुरुष वोटर- 1 लाख, 46 हजार, 397

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397 मझवां विधानसभा सीट (Majhawan Assembly seat) 

मिर्जापुर जिले का मझवां विधानसभा (Majhawan Assembly seat) 1960 में अस्तित्व में आया था। इससे पहले यह मिर्जापुर नगर विधानसभा का ही हिस्सा हुआ करता था। इसका अधिकांश हिस्सा गंगा की किनारे बसा हुआ है। इसके एक छोर पर भदोही तो दूसरी तरफ वाराणसी जनपद है। मझवां विधानसभा सीट (Majhawan Assembly seat) 1952 से लेकर 1969 तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही। यह विधानसभा क्षेत्र राजनीति के दिग्गजों का अखाड़ा रह चुका है। मझवां विधानसभा सीट (Majhawan Assembly seat) से कांग्रेस को आठ बार, बसपा को पांच बार, भाजपा को दो बार जीत हासिल हुई है। भाजपा समर्थित निषाद पार्टी ने इस सीट पर विनोद कुमार बिंद को प्रत्याशी बनाया है। वहीं सपा से रोहित शुक्ला, बसपा से पुष्पलता बिंद, कांग्रेस से शिव शंकर चौबे और आम आदमी पार्टी से शेषधर मैदान में हैं।

सियासी इतिहास

2002 से 2012 तक लगातार तीन बार से बसपा के डॉ. रमेश बिन्द यहां से विधायक चुने गए।
2017 में बीजेपी की सुचिस्मिता मौर्या यहां से जीत हासिल करने में सफल रहीं।

जातिगत आंकड़ा (अनुमानित)

ब्राह्मण 84 हजार
दलित 61 हजार
बिंद 60 हजार
यादव 35 हजार
क्षत्रिय 11 हजार
भूमिहार 20 हजार
मौर्या 33 हजार
मुस्लिम 20 हजार
पाल 20 हजार
पटेल 22 हजार
प्रजापति 10 हजार

मतदाता

कुल मतदाताओं की संख्या– 3 लाख 91 हजार 245
महिला वोटर- 1 लाख 84 हजार, 612
पुरुष वोटर- 2 लाख, 6 हजार, 603

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398 चुनार विधानसभा सीट (Chunar Assembly seat) 

मिर्जापुर की चुनार विधानसभा सीट (Chunar Assembly seat) जिले की ही नहीं बल्कि यूपी की भी बेहद अहम सीट मानी जाती है। इसकी गिनती पुराने शहरों में होती है। चुनार क्षेत्र मिट्टी के बर्तनों और खिलौनों के लिए काफी फेमस है। चुनार अपने आप में कई खूबियों को समेटे हुए है। यह पर्यटकों को लुभाने में खास स्थान रखता है। प्राकृतिक नजारे और चुनार का किला देखने के लिए यहां पर्यटक आते हैं। यहां की राजनीति भी काफी मजेदार है। बीजेपी ने अनुराग सिंह पर दोबारा भरोसा जताते हुए इसबार भी प्रत्याशी बनाया है। वहीं सपा गठबंधन से अपना दल कमेरावादी ने रमाशंकर प्रसाद सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है। बसपा से विजय कुमार, कांग्रेस से सीमा देवी और आम आदमी पार्टी से सत्येंद्र सिंह चुनावी मैदान में हैं।

सियासी इतिहास

2002 से 2012 तक भाजपा के ओम प्रकाश सिंह यहां के विधायक रहे।
2012 में सपा के जगदम्बा सिंह विधायक चुने गए।
2017 में भाजपा ने फिर वापसी की और अनुराग सिंह विधायक चुने गए।

जातिगत आंकड़ा (अनुमानित)

दलित- 1 लाख
सवर्ण मतदाता- 30 हजार
अल्पसंख्यक- 13 हजार
निषाद- 12 हजार
कुशवाहा- 7 हजार

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399 मड़िहान विधानसभा सीट (Madihan Assembly seat) 

मिर्जापुर जिले की मड़िहान विधानसभा सीट (Madihan Assembly seat) का अतीत ज्यादा पुराना नहीं है। यह विधानसभा सीट वर्ष 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। इस सीट पर वर्ष 2012 में पहली बार विधानसभा का चुनाव हुआ। वर्ष 2012 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी को इस सीट से जीत हासिल करने में मिली। कांग्रेस के टिकट पर पंडित कमला पति त्रिपाठी के परिवार के पंडित ललितेश पति त्रिपाठी यहां से विधायक चुने गए। उन्होंने समाजवादी पार्टी के सत्येंद्र कुमार पटेल को हराया था।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने निवर्तमान विधायक ललितेश पति त्रिपाठी को ही प्रत्याशी बनाया था। लेकिन उन्हें बीजेपी के रमाशंकर सिंह पटेल के सामने हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी के रमाशंकर सिंह पटेल ने कांग्रेस के ललितेश को 46 हजार 598 वोटो से चुनाव हराया। वहीं बसपा प्रत्याशी अवधेश को तीसरा स्थान मिला था। इसबार भी बीजेपी ने जहां रमाशंकर पटेल को दोबारा मैदान में उतारा है, वहीं उनके सामने सपा से रविंद्र बहादुर सिंह पटेल, बसपा से नरेंद्र सिंह कुशवाहा, कांग्रेस से गीता देवी कोल और आम आदमी पार्टी से राजन सिंह पटेल ताल ठोक रहे हैं।

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