सिद्धार्थनगर: सिद्धार्थनगर जिले की पांचों नौगढ़ (जिसे कपिलवस्तु के नाम से जाना जाता है), शोहरतगढ़, बांसी, इटवा और डुमरियागंज सीट पर भाजपा और सपा में कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है। इनमें कुछ सीटें ऐसी हैं, जिसपर सपा का वर्चस्व रहा है। वर्ष 2017 के चुनाव में मोदी लहर के सामने सपा का वर्चस्व टूटा और भाजपा कमल खिलाने में सफल रही, लेकिन इस बार लगभग सभी सीटों पर सपा की लहर साफ दिखाई दे रही है। ऐसे में इस बार इन सीटों पर कमल खिला पाना काफी चुनौती पूर्ण है। आइए सीटों के हिसाब से जानते हैं यहां का सियासी माहौल। सिद्धार्थनगर जिले में छाठवें चरण में 3 मार्च को मतदान होना है।

302- शोहरतगढ़ विधानसभा सीट

सिद्धार्थनगर की शोहरतगढ़ सीट भी कभी कांग्रेस का कब्जा हुआ करता था, लेकिन अब यहां कांग्रेस हाशिए पर चली गई है। वर्तमान समय में यहां से अपना दल के अमर सिंह विधायक हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां से अपना दल प्रत्याशी अमर सिंह चौधरी विधायक चुने गए थे। उन्होंने बसपा के मोहम्मद जमील को 22,124 वोटों के अंतर से हराया था।

भाजपा ने इस बार भी पुराने इतिहास को दोहराने के लिए यह सीट एक बार फिर अपने सहयोगी पाटी अपना दल एस को दिया है। अपना दल एस ने यहां से विनय वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। वहीं सपा ने भी नया प्रयोग करते हुए यह सीट सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के लिए छोड़ दी है। सुभासपा की तरफ से प्रेमचंद निषाद मैदान में हैं।

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सियासी इतिहास

1977- शिवलाल मित्तल (जनता पार्टी)
1980, 1985, 1989- कमल साहनी (कांग्रेस)
1991- शिवलाल मित्तल (बीजेपी)
1993, 1996- रविंद्र उर्फ पप्पू चौधरी (बीजेपी)
2002- दिनेश सिंह (कांग्रेस)
2007- चौधरी रवींद्र प्रताप (कांग्रेस)
2012- लालमुन्नी सिंह (सपा)
2017- अमर सिंह चौधरी- अपना दल (सोनेलाल)

मतदाता

कुल मतदाता: 3,05,453
पुरुष: 1,64,501
महिला: 1,40,952

303- कपिलवस्तु विधानसभा सीट

सिद्धार्थनगर जनपद का नौगढ़ (सदर तहसील) जिसका बाद में नाम बदलकर कपिलवस्तु कपिलवस्तु कर दिया गया। सिद्धार्थनगर जनपद में आने वाली कपिलवस्तु सीट की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि काफी दिलचस्प और रोचक है। यहां की राजनीतिक गणित काफी अलग है।

2017 के नतीजे

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी इस सीट पर काबिज होने में सफल रही। बीजेपी के श्याम धनी ने सपा प्रत्याशी विजय कुमार को 38, 154 वोटों के अंतर से हराया था। वहीं बसपा प्रत्याशी चंद्रभूषण तीसरे नंबर पर रहे थे। इस सीट पर कभी कांग्रेस का एकछत्र कांग्रेस का राज रहा। इसके बाद दो बार सपा जीतने में सफल रही। वर्ष 2017 के चुनाव में यह सीट भाजपा के पाले में आ गई। इस भी बीजेपी श्याम धनी पर विश्वास जताते एकबार फिर से प्रत्याशी बनाया है। वहीं सपा से विजय पासवान और कांग्रेस से देवेंद्र सिंह गुड्डू मैदान में हैं। जनता से मिल रहे रुझान के मुताबिक इस सीट पर बीजेपी के श्याम धनी और सपा के विजय पासवान के बीच मुख्य मुकाबला है।

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304- बांसी विधानसभा सीट

सिद्धार्थनगर जिले की बांसी सीट पर वर्तमान में बीजेपी का कब्जा है। वर्ष 2017 के चुनाव में बीजेपी के जय प्रताप सिंह यहां से विधायक चुने गए। जय प्रताप सिंह से सात बार विधायक चुने जा चुके हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में उन्होंने सपा प्रत्याशी लालजी को 18 हजार 942 वोटों के अंतर से हराया था। योगी सरकार में जय प्रताप सिंह कैबिनेट मंत्री हैं। जय प्रताप सिंह की क्षेत्र में राजा साहब के नाम से पहचान हैं। वर्ष 1989 से 2002 तक वह लगातार पांच बार विधायक चुने गए। वर्ष 2007 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

बीजेपी ने इसबार भी जय प्रताप सिंह को यहां से प्रत्याशी बनाया है। वहीं समाजवादी पार्टी की तरफ से चौधरी अमर सिंह, बसपा से राधेश्याम पांडेय और कांग्रेस से किरन शुक्ला मैदान में हैं।

सियासी इतिहास

1985- हरीश चंद्र (बीजेपी)
1989, 1991, 1993, 1996, 2002- जय प्रताप सिंह (बीजेपी)
2007- लालजी (सपा)
2012, 2017- जय प्रताप सिंह (बीजेपी)

जातिगत आंकड़े (अनुमानित)

मुस्लिम- 20 प्रतिशत
ब्राह्मण- 16 प्रतिशत
भूमिहार- 12 प्रतिशत
निषाद- 14 फीसद

मतदाता

कुल मतदाता: 3,22,865
पुरुष: 01,77, 654
महिला: 01, 45, 211

305- इटवा विधानसभा सीट

सिद्धार्थनगर जिले की सीट पर लंबे समय तक सपा का कब्जा रहा। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा यह सीट सपा से छीनने में सफल रही। इस सीट से छह बार जीत की हैट्रिक लगा चुके सपा प्रत्याशी माता प्रसाद पांडेय को हार का सामना करना पड़ा। वह इस चुनाव में तीसरे नंबर पर चले गए थे। जबकि दूसरे नंबर पर बसपा प्रत्याशी अरशद खुर्शीद रहे। बीजपी प्रत्याशी सतीश द्विवेदी ने अरशद खुर्शीद को 10,208 वोटों के अंतर से हराया था। बता दें कि इटवा विधानसभा सीट 1974 में अस्तित्व में आया था।

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बीजपी ने यहां से इसबार भी सतीश द्धिवेदी को मैदान में उतारा है, वहीं समाजवादी पार्टी ने भी माता प्रसाद पांडेय को फिर प्रत्याशी बनाया है। वहीं बसपा भाजपा से बागी हुए हरिशंकर सिंह पर दांव लगाया है। जबकि कांग्रेस की तरफ से अरशद खुर्शीद भी जोर आजमाइश में लगे हुए हैं।

सियासी इतिहास

1974- गोपीनाथ कामेश्वरपुरी (कांग्रेस)
1977- विश्वनाथ पांडेय (जनता पार्टी)
1980- माता प्रसाद पांडेय (जनता पार्टी सेक्युलर)
1985- माता प्रसाद पांडेय (लोकदल)
1989- माता प्रसाद पांडेय (जनता दल)
1991- मोहम्मद मुकीम (कांग्रेस)
1993- स्वंयवर चौधरी (बीजेपी)
1996- मोहम्मद मुकीम (कांग्रेस)
2002, 2007, 2012- माता प्रसाद पांडेय (सपा)
2017- डॉक्टर सतीश चंद्र द्विवेदी (बीजेपी)

जातिगत समीकरण

इटवा सीट में सवर्ण मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। यहां पिछड़ा वर्ग, एससी-एसटी मतदाताओं के साथ ही मुस्लिम भी सियासी समीकरण तय करते हैं।

मतदाता

कुल मतदाता : 2,82,312
पुरुष : 1,51,667
महिला : 1,30,645

306- डुमरियागंज विधानसभा सीट

सिद्धार्थनगर की डुमरियागंज सीट पर काफी समय तक सपा का कब्जा रहा है। वर्ष 2017 के चुनाव में बीजेपी को काफी कम वोटों के अंतर से इस सीट पर काबिज होने की सफलता मिल गई। मात्र 171 वोटों से बीजेपी प्रत्याशी राघवेंद्र प्रताप ​सिंह की जीत हुई। ऐसे में इस बार भी इस सीट पर कड़ा मुकाबला है, क्योंकि बीजेपी ने इसबार भी राघवेंद्र प्रताप सिंह को यहां से प्रत्याशी घोषित किया है। वर्ष 2017 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बसपा उम्मीदवार सैयदा खातून को 171 वोटों से हराया था। इस बार सपा ने सैय्यदा खातून का प्रत्याशी बनाया है।

सियासी इतिहास

1985-कमाल यूसुफ मलिक- राष्ट्रीय लोकदल
1989, 1991, 1993- प्रेम प्रकाश उर्फ जिप्पी तिवारी- बीजेपी
1996- तौफीक अहमद- सपा
2002- कमाल यूसुफ मलिक- सपा
2007- तौफीक अहमद- सपा
2012- कमाल यूसुफ मलिक- पीस पार्टी
2017- राघवेंद्र प्रताप सिंह- बीजेपी

जातिगत समीकरण

ओबीसी- 29 प्रतिशत
मुस्लिम- 31 प्रतिशत
दलित- 16 प्रतिशत
ब्राह्मण- 14 प्रतिशत

मतदाता

कुल मतदाता: 4,19,016
पुरुष: 217592
महिला: 184294

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