Poem: हम बहुत आम जगहों से आए थे
हम बहुत आम जगहों से आए थे बहुत आम जगहों पर रहे बहुत आम जगहों पर पढ़े और बेहद आम जगहों पर खाया जब अमीर लोग बड़े नोट निकाला करते…
हम बहुत आम जगहों से आए थे बहुत आम जगहों पर रहे बहुत आम जगहों पर पढ़े और बेहद आम जगहों पर खाया जब अमीर लोग बड़े नोट निकाला करते…
अधूरे मन से ही सही मगर उसने तुझसे मन की बात कही पुराने दिनों के अपने अधूरे सपने तेरे कदमों में ला रखे उसने तो तू भी सींच दे उसके…
पुनरोदय का समय आ गया, आओ मिल कर दीप जलाएं। लेकर संकल्प सिद्धि कर पूरी, स्वाभिमान का भाव जगाएं।। जो कुछ छूटा वह सब पायें, जो हुए दूर उनको अपनाएं।…
राम का उत्सव मनाने बढ़ रहा है विश्व सारा। कर्तव्य पथ पर हम बढ़ें सौभाग्य युग है हमारा।। प्रेरणा के दीप हम हों विश्व में जगमग उजाला। आनन्दमय वातावरण हो…
जनगण मंगल दायक जय हे भारत भाग्य विधाता। उत्तर में कैलाश मानसर है गंग सिंधु उद्गाता। दक्षिण में है हिन्दू सागर भारत तरल तरंगा। पूरब में है वंग की खाड़ी…
लहू पीने की आदत हो गई है सियासत एक लानत हो गई है शरीफों की कहां दुनिया बची है जहां में अब शराफ़त खो गई है थी कुदरत ने हमें…
बृजेंद्र खिल उठे हृदय का तंतु तंतु, जग उठें शीत में सुप्त जंतु। हँसती चहूं दिश होवे बयार, स्वागत को हो ऋतुराज द्वार।। जब रंगबिरंगी तितली बहकें, विविध भांति चिड़िया…