जनगण मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।
उत्तर में कैलाश मानसर
है गंग सिंधु उद्गाता।

दक्षिण में है हिन्दू सागर
भारत तरल तरंगा।
पूरब में है वंग की खाड़ी
नद पावन यमुना गंगा।

पश्चिम में पुरी द्वारिका
सोमनाथ भोले शंकर
देव तुल्य है पावन मिट्टी
पूज्य यहाँ का हर कंकर

पंजाब सिंधु गुजरात मराठा
द्राविण उतकल वंग।
जन मन में निशि दिन गून्जे
भारत विजय तरंग ll

– बृजेंद्र

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