Swami Prasad Maurya: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) से पहले समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की तरफ से शुरू की गई पीडीए की राजनीति का असर दिखने लगा है। रामचरितमानस की चौपाइयों पर विवद खड़े करने वाले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने इस बार मां लक्ष्मी को लेकर विवादित पोस्ट किया है। विधानसभा चुनाव में रामचरितमानस की चौपाइयों से सपा की शुरू की गई राजनीति सवर्णों का विरोध करते हुए अब देवी-देवताओं पर अमर्यादित टिप्पणी पर आ गई है। हालांकि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में यह पहली बार नहीं है, जब धर्म और धर्म के रक्षक निशाने पर हैं। सत्ता के लिए सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने न सिर्फ निहत्थे कारसेवकों की हत्या करवाई, बल्कि एक वर्ग को खुश करने के लिए इस बात को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार भी किया। धर्म और धर्म के रक्षकों पर स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के इस बयान को भी सपा की पुरानी परिपाटी का हिस्सा माना जा रहा है।

स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) की तरफ से माता लक्ष्मी पर की गई ओछी टिप्पणी पर जहां लोगों में आक्रोश है, वहीं सपा में जमीर वाले नेताओं को भी यह बात अखर रही है। हालांकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की तरफ से स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान का खंडन नहीं किया गया है। लेकिन, जिस तरह से रामचरितमानस विवाद की तरह इस बार अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) चुप्पी साधे हुए हैं, वह यह बताने के लिए काफी है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को पार्टी का मौन समर्थन मिल रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर बीजेपी के कई नेता अब तक आपत्ति दर्ज करा चुके हैं।

वहीं रायबरेली से सपा के पूर्व मंत्री मनोज कुमार पांडेय (Manoj Pandey) ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर तीखा जवाब दिया है। उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को अतीत की याद दिलाते हुए कहा कि उनकी गिनती चाटुकार नेताओं में की। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य वर्ष 2017 से 2022 तक सत्ता की मलाई चाटते रहे। स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेता उस समय केसरिया गमछा डालकर नारे लगाते थे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बयान देने वालों को अपना अतीत नहीं भूलना चाहिए। सपा नेता मनोज कुमार पांडेय ने स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी को बकवास बताते हुए कहा कि बकवास का नहीं बयान का उत्तर दिया जाता है।

सपा नेता ने कहा कि देश में एक मजबूत संविधान है। यही संविधान हर किसी को अपने-अपने धर्म को मानने की स्वतंत्रता देता है। किसी भी धर्म पर टिप्पणी करने का किसी को कोई अधिकार नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को गरीबी, बेरोजगारी और किसानों की समस्या उठाने की नसीहत दी। मनोज पांडेय ने समाजवादी पार्टी की गाइड लाइन का हवाला देते हुए कहा कि सपा सभी वर्ग, जाति, धर्म का सम्मान करती है।

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गौरतलब है कि सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की राजनीति में गिनती बिना पेदी के लौटे के रूप में होती है। राजनीतिक जीवन में सत्ता के लिए वह कई दलों का भ्रमण कर चुके हैं। बसपा से भाजपा और अब सपा में राजनीतिक वजूद तलाशने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य पार्टी के इतिहास को दोहराते हुए धर्म और धर्म के रक्षकों का हथियार बनाकर जनता को लड़ाने की साजिश कर रहे हैं। रामचरितमानस पर हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट से मुंह की खाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य इस बार देवी-देवताओं पर निशाना साधा है। जबकि अपने इस बयान में स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी पत्नी को बतौर पर लक्ष्मी के तौर पर प्रस्तुत किया है। ऐसे में सवाल उठता है, जब लक्ष्मी नहीं हैं, तो उनकी पत्नी लक्ष्मी का रूप कैसे हो सकती हैं?

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