Acharya Rajendra Tiwari
आचार्य राजेन्द्र तिवारी

Somvati Amavasya 2023: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। अमावस्या (Somvati Amavasya 2023) के दिन पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है। सोमवार और शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) कहते हैं। फाल्गुन माह में आने वाली अमावस्या सोमवार के दिन है इसलिए इसे सोमवती अमावस्या के रूप में मनाया जाएगा। भागवतकथा व्यास, ज्योतिषी और वास्तुशास्त्री आचार्य राजेन्द्र तिवारी ने बताया कि सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) पर शिव जी की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यताओं के अनुसार, सोमवती अमावस्या पर शिव जी का रुद्राभिषेक करने से जीवन के तमाम कष्टों और ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है। सोमवती अमावस्या के दिन तीर्थ स्नान करने, पूर्वजों की शांति के लिए तर्पण करने और दान करने से भी पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो चलिए फाल्गुन माह की सोमवती अमावस्या की सही तिथि और पूजा मुहूर्त के बारे में जानते हैं।

फाल्गुन सोमवती अमावस्या 2023

फाल्गुन माह में अमावस्या तिथि की शुरुआत 19 फरवरी की शाम से हो जाएगी, लेकिन उदयतिथि के अनुसार, सोमवती अमावस्या 20 फरवरी को मनाई जाएगी। 20 फरवरी को सोमवती अमावस्या के दिन आपको पूजा-पाठ, स्नान दान और व्रत, यज्ञ आदि करने से शुभ फल प्राप्त होंगे और परिवार को सौभाग्य मिलेगा।

सोमवती अमावस्या 2023 मुहूर्त

आचार्य राजेन्द्र तिवारी ने बताया-हिंदू पंचाग के अनुसार, अमावस्या तिथि की शुरुआत 19 फरवरी 2023 की शाम को 4 बजकर 18 मिनट से हो जाएगी। अमावस्या तिथि का समापन अगले दिन 20 फरवरी की दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदयतिथि को अधिक महत्व दिया जाता है और 20 फरवरी को सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि होगी, इसलिए सोमवती अमावस्या 20 फरवरी को मान्य होगी। आपको इसी दिन सोमवती अमावस्या का पूजा-पाठ करना चाहिए।

somvati amavasya 2023

सोमवती अमावस्या पूजा

सोमवती अमावस्या पर पीपल की परिक्रमा करते हुए पूजा करने का महत्व होता है। आपको इस दिन 108 बार धागा लपेट कप पीपल की परिक्रमा करनी चाहिए। सोमवती अमावस्या पर धान, पान और खड़ी हल्दी को मिलाकर उसे विधिवत तरीके से तुलसी पर चढ़ाना चाहिए। आपको प्रदक्षिणा के समय पर 108 फल रखकर वेदपाठी ब्रह्माणों को दान करने चाहिए। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान है।

सोमवती अमावस्या का महत्व

सोमवती अमावस्या का महत्व महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। मान्यताओं के अनुसार, महाभारत काल में भीष्म ने युधिष्ठिर को सोमवती अमावस्या का महत्व समझाया था। भीष्म ने महत्व समझाते हुए कहा था कि सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से मनुष्य का मन स्वच्छ होता है और सभी कष्टों व दुखों से छुटकारा पाता है। सोमवती अमावस्या पर गंगा जल और कच्चे दूध से अभिषेक करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती है। सोमवती अमावस्या का दिन करवाचौथ के समान ही फलदायी माना जाता है।

साल 2023 में तीन बार होगी सोमवती अमावस्या

प्रत्येक वर्ष दो से तीन बार सोमवती अमावस्या का संयोग बनता है। साल 2023 में भी तीन सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। इस साल फाल्गुन, सावन और कार्तिक माह में सोमवती अमावस्या होगी।

– फाल्गुन माह की अमावस्या 20 फरवरी, 2023 को सोमवार के दिन पड़ रही है इसलिए इसे सोमवती अमावस्या के रूप में मनाया जाएगा।

– सावन माह की अमावस्या 17 जुलाई, 2023 को सोमवार के दिन होगी, इसे भी सोमवती अमावस्या के रूप में मनाया जाएगा।

– कार्तिक माह की अमावस्या 13 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भी सोमवार का दिन होगा इसलिए इसे भी सोमवती अमावस्या के रूप में मनाया जाएगा।

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आचार्य राजेन्द्र तिवारी (Acharya Rajendra Tiwari) ने बताया कि इस साल सोमवती अमावस्या सोमवार 20 फरवरी को पड़ रही है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और पीपल के पेड़ की परिक्रमा करती हैं।

ज्योतिष के अनुसार इस फाल्गुन अमावस्या पर शुभ योग का संयोग बन रहा है। फाल्गुन अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। अकाल मृत्यु, भय, पीड़ा और बीमारी से बचाव के लिए इस दिन भगवान शिव की पूजा करना कारगर माना जाता है। यह जीवन की कठिनाइयों और जटिलताओं से छुटकारा पाने में मदद करता है। हिन्दू शास्त्रों में इस व्रत को अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत कहा गया है।

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